मोहन भागवत (डिजाइन फोटो)
नवभारत डेस्क: आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने व्यापक राष्ट्रीय हित को महत्व देते हुए कहा है कि नए मंदिर- मस्जिद विवाद को उठाना स्वीकार्य नहीं है। रोज नए मुद्दे उठाकर घृणा व दुश्मनी फैलाना गलत है। उन्होंने पहले भी सामाजिक सौहार्द को ध्यान में रखते हुए ऐसे बयान दिए हैं। उन्होंने ऐसे लोगों को झटका दिया है जो ऐसे विवाद उठाकर हिंदुओं के नेता बनना चाहते हैं।
कुछ समय पूर्व संघ प्रमुख ने नागपुर में अपने भाषण में कहा था कि अयोध्या के राम जन्मभूमि आंदोलन का एक विशिष्ट संदर्भ था और संघ भविष्य में ऐसे किसी भी विवाद को नहीं उठाएगा। इस तरह अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के बाद संघ ने इस प्रकार के मंदिर-मस्जिद विवादों से स्वयं को अलग कर लिया जो कि पिछले लगभग 2 वर्षों में उभर आए हैं, पुराने मंदिर की जगह मस्जिद बना दिए जाने के मुद्दे को लेकर लोग अदालतों में गए हैं। जिला अदालतों ने भी ऐसे स्थानों पर सर्वे कराने का आदेश दिया। क्या हर ऐसा स्थान उतना ही ऐतिहासिक कहलाने योग्य है? इस पर गहन विचार की आवश्यकता है।
यह ऐतिहासिक सत्य है कि विदेशी आक्रमणकारियों ने अपनी अनेक सदियों की हुकूमत में मंदिर तोड़कर मस्जिद या दरगाह बनाई। सर्वेक्षण के दौरान वहां हिंदू प्रतीक चिन्ह मिलते हैं लेकिन इस तरह का विवाद आखिर कब तक चलेगा? इसे उठानेवाले शांति-व्यवस्था के लिए खतरा पैदा कर देते हैं। लोगों के बीच धर्म, संस्कृति, जाति या भाषा के आधार पर विवाद पनपना देशहित में नहीं है। राम जन्मभूमि आंदोलन के बाद संघ ने मंदिर-मस्जिद विवाद से दूरी बरती है।
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ऐसे विवाद उठाने वाले लोग अतीत में जीते हैं इसके लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते हैं। ऐसे अतिवादी तत्वों का व्यावहारिकता से कोई लेना-देना नहीं है। जब ऐसे मुद्दों पर फसाद भड़कता है तो सड़क पर रहनेवाला या अपनी रोजी-रोटी के लिए बाहर निकला गरीब मारा जाता है। किसी भी समुदाय को पुराने विवादों को हवा नहीं देनी चाहिए अन्यथा माहौल खराब होता है। जो लोग ऐसे विवादों में नेतागिरी करते हैं उनकी अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षा होती है।
संघ प्रमुख का आशय है कि सामाजिक सौहार्द्र और शांतिपूर्ण सहअस्तित्व कायम रखा जाए, राष्ट्रीय एकता के लिए ऐसा करना आवश्यक है। आरएसएस राष्ट्रीय प्रश्नों पर संतुलित और व्यावहारिक रवैया अपनाने के पक्ष में रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने भी उन जिला अदालतों के फैसलों पर रोक लगा दी है जिन्होंने सर्वे कराने का आदेश दिया था।
लेख- चंद्रमोहन द्विवेदी द्वारा