
पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ (सोर्स- सोशल मीडिया)
Congress Comment On absence of BJP Leaders At Former Vice President Dhankhar’s Event: पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने इस्तीफा देने के लगभग चार महीने बाद भोपाल में एक सार्वजनिक कार्यक्रम में हिस्सा लिया। यह कार्यक्रम राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से संबंधित एक किताब के विमोचन का था, जहां उन्होंने RSS के विचारों और देश को मजबूत बनाने के उनके दृष्टिकोण की खुलकर प्रशंसा की। हालाकि इस कार्यक्रम में उनकी उपस्थिति से ज्यादा चर्चा उनके स्वागत में हुई कमी की रही। भोपाल हवाई अड्डे पर भाजपा के किसी भी बड़े नेता का न पहुंचना एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन गया, जिस पर कांग्रेस ने तीखी प्रतिक्रिया दी है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सदस्य दिग्विजय सिंह ने इस घटना को लेकर भाजपा पर सीधा हमला किया है। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि भाजपा का कोई भी नेता पूर्व उपराष्ट्रपति के स्वागत के लिए हवाई अड्डे पर नहीं पहुंचा और यह भाजपा की राजनीति की ‘इस्तेमाल करो और फेंको’ (Use and Throw) वाली नीति को दर्शाता है।
दिग्विजय सिंह ने भाजपा की आलोचना करते हुए कहा कि, “बात ये है कि उनके लिए वहीं महत्वपूर्ण है जो उनके काम आए। यूज एंड थ्रो, यही भाजपा है।” उनके अनुसार, भाजपा केवल उन्हीं लोगों को महत्व देती है जो उनके राजनीतिक हितों को साधने में सहायक होते हैं। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि चूंकि धनखड़ RSS के कार्यक्रम में शामिल होने आए थे, इसलिए वह RSS के बारे में तत्काल कोई टिप्पणी नहीं करेंगे।
स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए चार महीने पहले उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा देने के बाद यह जगदीप धनखड़ का पहला सार्वजनिक संबोधन था। उन्होंने RSS के एक वरिष्ठ पदाधिकारी मनमोहन वैद्य द्वारा लिखी गई किताब के विमोचन समारोह को संबोधित किया। अपने भाषण में, धनखड़ ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के विचारों और एक मजबूत राष्ट्र बनाने के दृष्टिकोण की खुले दिल से प्रशंसा की। धार्मिक नेताओं और मीडिया से जुड़े जाने-माने लोगों की सभा को संबोधित करते हुए, उन्होंने देश के भरोसे, सांस्कृतिक जड़ों और संस्थाओं की एकता को बनाए रखने के महत्व पर जोर दिया।
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पूर्व उपराष्ट्रपति एक संवैधानिक पद पर रह चुके हैं और उनका सार्वजनिक कार्यक्रम में आना एक महत्वपूर्ण घटना थी। ऐसे में भाजपा के किसी भी बड़े नेता का उनके स्वागत में शामिल न होना कई सवाल खड़े करता है। कांग्रेस ने इसे भुनाते हुए भाजपा की कार्यशैली पर सवाल उठाए हैं, जिससे मध्य प्रदेश की राजनीति में एक नया विवाद शुरू हो गया है। राजनीतिक विशेषज्ञ अब इस मामले पर अपनी राय दे रहे हैं कि क्या यह घटना वाकई भाजपा की आंतरिक रणनीति का हिस्सा है या फिर यह महज एक चूक थी जिस पर अब राजनीति हो रही है। इस घटना ने एक बार फिर ‘सम्मान’ और ‘राजनीतिक उपयोगिता’ के बीच की रेखा को उजागर कर दिया है।






