पाकिस्तानी फील्ड मार्शल निखट्टू (सौ. डिजाइन फोटो)
नवभारत डिजिटल डेस्क: पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘निशानेबाज, सेना में फील्ड मार्शल बहुत ऊंचा और दुर्लभ पद होता है।यह हर किसी को नहीं दिया जाता।दुनिया के प्रसिद्ध फील्ड मार्शल ब्रिटेन और रूस में हुए हैं।ब्रिटेन में द्वितीय विश्वयुद्ध के समय फील्ड मार्शल मांटगोमरी हुए थे।सोवियत रूस में जर्मन सेनाओं से लेनिनग्राड की लड़ाई का नेतृत्व करनेवाले फील्ड मार्शल ग्रेगरी जुकोव थे।भारत में पहले सेनाध्यक्ष रहे जनरल केएम करिअप्पा को बाद में फील्ड मार्शल का दर्जा दिया गया।
इसी तरह 1971 के बांग्लादेश युद्ध में भारतीय सेना का सफल नेतृत्व करनेवाले सैम मानेकशा फील्ड मार्शल बनाए गए थे।यह बड़ा सम्मानसूचक पद होता है.’ हमने कहा, ‘पाकिस्तान ने भारत से पिटनेवाले अपने जनरल आसिम मुनीर को फील्ड मार्शल बना दिया।पाक प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की सरकार ने यह फैसला लिया।मुनीर पाकिस्तानी सेना में इस पद पर पहुंचनेवाले दूसरे सेना प्रमुख हैं।इससे पहले जनरल अयूब खान ने 1958 में खुद को फील्ड मार्शल घोषित कर दिया था।उन्होंने दलील दी थी कि पाकिस्तान की सिविल सोसाइटी के बार-बार आग्रह करने पर उन्होंने यह पद लिया है।सभी जानते हैं कि यह सब दिखावा है सेना ही पाकिस्तान की असली ताकत है।
शहबाज शरीफ ने मुनीर के तलवे चाटे हैं।1958 से 1969 तक अयूब खान पाकिस्तान के सैनिक शासक रहे।1965 में उन्हीं के नेतृत्व में पाक ने भारत पर हमला किया था जिसमें पाकिस्तान ने मुंह की खाई थी.’ पड़ोसी ने कहा, ‘मुनीर को ज्यादा पावरफुल बनाने के बाद कहीं वह भी शाहबाज शरीफ से पाकिस्तान की सत्ता न छीन लें! अयूब खान ने इस्कंदर मिर्जा से सत्ता छीनी थी और जनरल परवेज मुशर्रफ ने नवाज शरीफ को अपदस्थ कर खुद पाकिस्तान की हुकूमत संभाली थी।जेल में कैद नवाज शरीफ को सऊदी अरब के कहने पर छोड़ा गया था फिर वह लंदन रहने चले गए थे।
मुनीर भी जल्दी ही सत्ता के पनीर का स्वाद चख सकते हैं।उजड़ी हुई रियासत के बिगड़े नवाब जैसी पाकिस्तानी फील्ड मार्शल मुनीर की स्थिति है।वह अपने मुंह मियां मिट्ठू बन रहे हैं।पाकिस्तान के सामने तबाही के हालात, मोदी के सामने मुनीर की क्या बिसात!’
लेख- चंद्रमोहन द्विवेदी के द्वारा