
भारतीय लोकतंत्र की गीता : हमारा संविधान (सौ. सोशल मीडिया)
नवभारत डिजिटल डेस्क: संविधान ने भारत को एक आधुनिक, समतामूलक, लोकतांत्रिक गणराज्य के रूप में स्थापित किया और नागरिकों को अधिकार, अवसर और गरिमा की सुरक्षा सुनिश्चित की। आज राष्ट्र कृतज्ञ है संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ। राजेंद्र प्रसाद और संविधान के मुख्य वास्तुकार संविधान प्रारूपण समिति के अध्यक्ष बी। आर। आंबेडकर एवं अन्य सदस्यगणों का, जिन्होंने अपनी दूरदर्शिता, राष्ट्र के प्रति निष्ठा और जन कल्याण की भावना से एक ऐसा ग्रंथ तैयार किया, जिसे हम भारतीय लोकतंत्र की गीता कहें तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी।
हमारे संविधान की विशेषता यह है कि यह परिवर्तनशील समाज की आवश्यकताओं के अनुरूप विकसित होने की क्षमता रखता है। यही कारण है कि पिछले 7 दशक में संविधान ने अपने मूलभूत सिद्धांतों को अक्षुण्ण रखते हुए समाज, प्रशासन और न्याय व्यवस्था में समयानुकूल परिवर्तन का मार्ग प्रशस्त किया है। हमारा संविधान जन-जन की भावनाओं, आकांक्षाओं का प्रतीक है। संविधान ने राष्ट्र को राह दिखाई है और समय-समय पर स्वयं में संशोधन करके लोकतांत्रिक मूल्यों को और अधिक सशक्त भी किया है। महिलाओं का सशक्तिकरणः संविधान में अब तक 106 संशोधन हो चुके हैं।
हाल ही में हुआ 106 वां संशोधन इस देश की आधी आबादी अर्थात नारी शक्ति के सशक्तिकरण को समर्पित है। दशकों से लंबित महिलाओं के हक की एक मांग को नरेंद्र मोदी ने ‘नारी शक्ति वंदन’ अधिनियम 2023 के माध्यम से साकार किया है। लोकसभा एवं राज्यों की विधानसभाओं में महिलाओं के लिए एक तिहाई सीटों का आरक्षण भारत में महिला नेतृत्व को एक नया आयाम देता है। 5 अगस्त 2019 को संविधान में हुआ संशोधन स्वतंत्र भारत का सबसे बड़ा ऐतिहासिक निर्णय माना जा सकता है। जम्मू कश्मीर और लद्दाख के लिए संविधान में प्रावधानित अनुच्छेद 370 और 35 ए को हटाए जाने से श्यामा प्रसाद मुखर्जी का ‘एक देश, एक विधान, एक प्रधान’ का संकल्प स्वतंत्रता के 70 वर्ष उपरांत पूर्ण हो पाया।
तीन आपराधिक कानूनः
भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य संहिता को लागू करके भारत सरकार ने दंड के स्थान पर न्याय की अवधारणा को धरातल पर उतारा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चिंतन में सदैव पहली प्राथमिकता कमजोर वर्ग को सशक्त कर उसे समाज की मुख्य धारा में लाने की रही है।संविधान के 103 वें संशोधन के माध्यम से वर्ष 2019 में भारत सरकार ने सामान्य वर्ग के कमजोर आर्थिक वर्ग वाले परिवारों को 10 प्रतिशत आरक्षण प्रदान करने का ऐतिहासिक निर्णय लिया है। संविधान जन-जन की आशाओं का प्रतिबिंब है। 7 जून 2024 को मोदी ने मोदी-3 सरकार की शुरूआत करते हुए संसद के सेंट्रल हॉल में संविधान की पवित्र पुस्तक को माथे से लगाकर नमन किया था। नरेंद्र मोदी की भारतीय संविधान में आस्था न केवल इन दृश्यों से अपितु उनके हर निर्णय से स्वतः परिलक्षित हो रही है। 7 नवंबर 2025 को संपूर्ण राष्ट्र ने राष्ट्रगीत ‘वंदे मातरम’ की 150 वीं वर्षगांठ को एक महान स्मरणोत्सव के रूप में मनाया। उत्तर से दक्षिण तक और पूर्व से पश्चम तक समवेत स्वर में स्व। बंकिमचंद्र चटर्जी की अमर रचना ‘वंदे मातरम’ की गूंज है। आज जब भारत विश्व मंच पर महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है, तब संविधान हमें अपनी जड़ों से जुड़े रहते हुए आधुनिक प्रगति की ओर अग्रसर होने की प्रेरणा देता है।
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हम 26 नवंबर 2025 को 76 वां संविधान दिवस मनाने जा रहे हैं। एक वर्ष पूर्व हमारे संविधान का अमृतकाल वर्ष प्रारंभ हुआ था। संपूर्ण वर्ष हमने संविधान के सम्मान में ‘संविधान गौरव अभियान’ मनाया और संविधान निर्माताओं के प्रति अपनी कृतज्ञता को ज्ञापित किया। हमारे लिए संविधान दिवस की तिथि न केवल एक औपचारिक स्मृति है, बल्कि उन मूल्यों, आदर्शों और संकल्पों का वार्षिक पुनर्मूल्यांकन भी है, जो हमारे लोकतंत्र की नींव है।
लेख- नरेंद्र सिंह तोमर, अध्यक्ष, मध्य प्रदेश विधानसभा






