
भारत का इंफ्रास्ट्रक्चर मार्केट (सोर्स- सोशल मीडिया)
India’s infrastructure market to hit ₹25 lakh crore by 2030: भारत एक बड़े और कई सालों तक चलने वाले इंफ्रास्ट्रक्चर ‘सुपर साइकल’ में प्रवेश कर रहा है, जिसका सीधा असर देश की अर्थव्यवस्था पर दिख रहा है। एक नई रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय इंफ्रास्ट्रक्चर बाजार का आकार 2030 तक दोगुना होकर ₹25 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच सकता है। बीते तीन सालों में, निफ्टी इंफ्रास्ट्रक्चर इंडेक्स ने बेंचमार्क निफ्टी 50 इंडेक्स की तुलना में दोगुना रिटर्न दिया है। यह तेजी सरकारी खर्च और निजी निवेश में सुधार के कारण देखने को मिल रही है।
एक ताजा रिपोर्ट के अनुसार, भारत का इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र अब रक्षात्मक (डिफेंसिव) स्थिति से हटकर उच्च-विकास (हाई-बीटा) और उच्च-लाभ (हाई-अल्फा) वाले क्षेत्र में बदल रहा है। स्मॉलकेस की यह रिपोर्ट बताती है कि 2030 तक इंफ्रास्ट्रक्चर मार्केट का आकार बढ़कर ₹25 लाख करोड़ रुपए होने का अनुमान है, जो मौजूदा बाजार से दोगुना है।
यह बड़ी वृद्धि मुख्य रूप से दो प्रमुख बातों पर टिकी हुई है। पहला, सरकार का लगातार बढ़ता खर्च और दूसरा, निजी कंपनियों का पूंजीगत खर्च (कैपेक्स) फिर से बढ़ना। इसके अलावा, रिपोर्ट बताती है कि केंद्र सरकार की प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) योजनाएं और ग्लोबल सप्लाई चेन का चीन से बाहर शिफ्ट होना भी इस विकास को बढ़ावा दे रहा है। विश्लेषकों का अनुमान है कि इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश किया गया हर एक रुपया, देश की जीडीपी पर ₹2 से ₹3 तक का प्रभाव डालता है। यह अर्थव्यवस्था के लिए एक मजबूत गुणक प्रभाव (multiplier effect) है।
इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र ने निवेशकों को शानदार रिटर्न दिया है। निफ्टी इंफ्रास्ट्रक्चर इंडेक्स ने पिछले तीन सालों में 82.8 प्रतिशत का रिटर्न दिया है, जबकि इसी दौरान निफ्टी 50 ने 41.5 प्रतिशत का रिटर्न दिया। यानी, इंफ्रा इंडेक्स का रिटर्न निफ्टी 50 से दोगुना रहा है। यहां तक कि पांच सालों में भी इंफ्रा इंडेक्स ने 181.2 प्रतिशत का रिटर्न दिया जो निफ्टी 50 के 100.3 प्रतिशत से कहीं बेहतर है।
स्मॉलकेस के इन्वेस्टमेंट मैनेजर अभिषेक बनर्जी ने बताया कि बाजार की अनिश्चितता के समय में भी इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश का ऐतिहासिक उतार-चढ़ाव (वोलैटिलिटी) केवल 10.2 प्रतिशत रहा है, जो इक्विटी बाजार के 15.4 प्रतिशत से काफी कम है। यह इस क्षेत्र को तुलनात्मक रूप से अधिक स्थिर बनाता है। उन्होंने यह भी कहा कि इंजीनियरिंग, कंस्ट्रक्शन, सीमेंट, बिजली उपकरण (पावर इक्विपमेंट) और लॉजिस्टिक्स जैसे क्षेत्रों में कमाई की दृश्यता (earning visibility) काफी मजबूत बनी हुई है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि इनविट्स (इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट्स) निवेशकों के लिए एक आकर्षक विकल्प बनकर उभरे हैं। वे अनुमानित कॉन्ट्रैक्ट-आधारित रेवेन्यू स्ट्रीम्स (Contract-Based Revenue Streams) से समर्थित हैं, जो टैक्स से पहले 10-12 प्रतिशत की यील्ड और टैक्स के बाद 7–9 प्रतिशत का रिटर्न दे सकते हैं। यह रिटर्न पारंपरिक फिक्स्ड-इनकम विकल्पों की तुलना में बहुत अधिक है।
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बनर्जी ने निष्कर्ष में कहा कि इंफ्रास्ट्रक्चर प्लेटफॉर्म यूटिलिटीज की तरह काम करते हैं और उनका इक्विटी से कम कोरिलेशन (केवल 0.42) होने के कारण वे आर्थिक उतार-चढ़ाव से कम प्रभावित होते हैं और महंगाई से जुड़ी लगातार आय प्रदान करते हैं।






