एकनाथ शिंदे, देवेन्द्र फड़णवीस और अजित पवार (डिजाइन फोटो)
महाराष्ट्र की महायुति सरकार के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस व अजीत पवार ने 2 वर्षों के कार्यकाल का संक्षिप्त रिपोर्ट कार्ड जारी किया। यह अपनी उपब्धियां बताने का प्रयास है। इस सरकार में बीजेपी बड़े भाई की भूमिका में होने के बावजूद राजनीतिक कारणों से सीएम का पद एकनाथ शिंदे को दिया गया। बीजेपी और शिवसेना हिंदुत्व के मुद्दे पर एक साथ हैं जबकि अजीत पवार की एनसीपी केवल विकास के नाम पर बीजेपी के साथ है।
लोकसभा चुनाव में मतदाताओं ने महायुति को झटका दिया था। वह केवल 17 सीटें जीत पाईं। महायुति में शामिल तीनों पार्टियों में कोई भी दहाई का आंकड़ा नहीं छू सकी। इसलिए महायुति के लिए विधानसभा चुनाव अत्यंत चुनौतीपूर्ण हैं। इससे निपटने के लिए विगत कुछ महीनों से व्यक्तिगत और सामाजिक लाभ की योजनाओं को जोरशोर से लागू किया गया।
विभिन्न जातियों के विकास के लिए महामंडल स्थापित किए गए। समाज के नामी व्यक्ति का नाम महामंडल को दिया गया। युवाओं, किसानों तथा विभिन्न वर्गों को खुश करने का प्रयास किया गया। 25 करोड़ महिलाओं के लिए ‘लाडकी बहीण’ योजना का एलान किया गया जिसमें 4 किस्तों में कुल 6,000 रुपए हर महिला के खाते में जा चुके हैं।
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बेरोजगारी से त्रस्त युवाओं के लिए प्रशिक्षण योजना शुरू की गई। राज्य भर में कृषि सम्मान योजना लागू की गई। प्राकृतिक आपदा से हुए नुकसान की भरपाई कर सस्ती बिजली देकर किसानों की नाराजगी दूर करने की कोशिश की गई। इतना होने के बाद भी विजय की गारंटी को लेकर संदेह है। रिपोर्ट कार्ड के जरिए महायुति ने राजनीतिक क्षेत्रों में चल रही अटकलों को विराम देने का प्रयास किया।
चर्चा थी कि अजीत पवार को समुचित महत्व नहीं मिलने से वे स्वतंत्र रूप से लड़ने की सोच सकते हैं। रिपोर्ट कार्ड के बाद अजीत शांत हो सकते हैं। आलोचना का मुद्दा यह भी था कि मुख्यमंत्री लाड़की बहीण योजना से सरकारी खजाने पर बहुत भार आ रहा है और चुनाव के बाद यह योजना बंद भी की जा सकती है।
इस मुद्दे का प्रतिवाद करते हुए वित्तमंत्री अजीत पवार ने दावा किया कि इस योजना के लिए वर्ष भर में 45,000 करोड़ रुपए का आर्थिक प्रावधान किया गया है और योजना कभी भी बंद नहीं होगी। महाराष्ट्र के हिस्से के उद्योग गुजरात ले जाए जाने के आरोप का शिंदे और फडणवीस दोनों ने खंडन किया।
उन्होंने कहा कि महाविकास आघाड़ी की सरकार जाने के बाद हमारी सरकार ने प्रगति कर दिखाई। विदेशी निवेश में महाराष्ट्र पहले क्रमांक पर है। इसे न देखते हुए आघाड़ी के नेता गुजरात का मुद्दा उठा रहे हैं। रिपोर्ट कार्ड के माध्यम से महायुति ने विधानसभा चुनाव के लिए अपना पक्ष रखा है। क्या इससे उसके पक्ष में जनमत तैयार हो पाएगा?
लेख- चंद्रमोहन द्विवेदी द्वारा