
नवभारत संपादकीय (डिजाइन फोटो)
ECI vs Rahul Gandhi: चुनाव आयोग और विपक्षी ‘इंडिया’ गठबंधन के बीच पिछले कुछ महीनों से जैसा विवाद चल रहा है वैसा पहले कभी नहीं देखा गया। विपक्ष ने वोट चोरी का जो आरोप लगाया है, वह बीजेपी और चुनाव आयोग दोनों को निशाने पर लेता है। चुनाव आयोग ने इस आरोप को निराधार तथा संस्था की विश्वसनीयता को नुकसान पहुंचानेवाला बताया और कहा कि वह झूठे आरोपों से नहीं डरता।
वोट चोरी जैसे शब्दों से जनता को गुमराह करना संविधान का अपमान है। विपक्ष चुनाव आयोग के कंधे पर बंदूक रख कर राजनीति कर रहा है। वक्त रहते त्रुटियां बताना जरूरी है। आयोग सभी मतदाताओं के साथ है। भारत में करोड़ों मतदाता हैं उनका मकान नंबर बताना जरूरी नहीं है।
चुनाव आयोग ने सीसीटीवी फुटेज जारी करने से यह कहकर मना कर दिया कि मतदाता की निजता की रक्षा करना उसका वैधानिक कर्तव्य है। आयोग ने सीसीटीवी रिकार्ड की उपलब्धता 1 वर्ष से घटाकर सिर्फ 45 दिन कर दी। आयोग की दलील है कि यह चुनाव याचिका दायर करने की समय सीमा से सुसंगत है।
विपक्ष ने फुटेज उपलब्ध कराने की मांग की जिस पर आयोग का कहना है कि 1 लाख मतदान केंद्रों की रिकार्डिंग की समीक्षा को 1 लाख दिन या 273 वर्ष लगेंगे। जब विपक्ष के 300 सांसद चुनाव आयोग कार्यालय गए तो चुनाव आयुक्त ने जगह की कमी बताकर उनसे मिलने से इनकार कर दिया और कहा कि मूल आवेदन में 30 सांसदों के मिलने की बात कही गई थी।
मुद्दे की संवेदनशीलता देखते हुए इतने सांसदों से तो वह मिल सकते थे। बिहार में विशेष गहन मतदाता सूची पुनरीक्षण में 65 लाख मतदाताओं के नाम हटाए गए हैं इस पर आयोग का कहना है कि यह अस्थायी या कामचलाऊ सूची है। जब अंतिम सूची बन जाएगी तब वह उसे शेयर करेगा। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद उसे सूची प्रकाशित करनी होगी।
जब राहुल गांधी ने कर्नाटक के महादेवपुरा चुनाव क्षेत्र की वोटर लिस्ट धांधली का मामला उठाया तो चुनाव आयोग ने उनसे नियम 20(3) (बी) के तहत शपथपत्र पर दस्तावेजों के साथ अपनी शिकायत पेश करने को कहा। राहुल ने दोहरे नाम दर्ज करने, एक ही पते पर अनेक मतदाताओं के नाम होने तथा नकली पते होने का आरोप लगाया था।
राहुल गांधी की यह मांग भी ठुकरा दी गई कि उन्हें मशीन से पढ़ी जानेवाली मतदाता सूची उपलब्ध कराई जाए। महाराष्ट्र के संबंध में राहुल गांधी का आरोप है कि 2024 के लोकसभा चुनाव तथा उसी वर्ष 5 माह बाद हुए विधानसभा चुनाव के बीच मतदाताओं की संख्या 8 प्रतिशत कैसे बढ़ गई? कुछ बूथ पर तो 20 से 50 फीसदी तक वोट बढ़ गए।
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आयोग ने इस आरोप को बेबुनियाद और वाहियात बताया। इस तरह का नकारात्मक रवैया अपनाने की बजाय आयोग दोनों चुनावों की वोटर लिस्ट जांच के लिए उपलब्ध करा सकता था। आयोग ने कहा कि आरोप लगानेवाले 7 दिनों में हलफनामा दें या देश से माफी मांगें।
लेख- चंद्रमोहन द्विवेदी के द्वारा






