नवभारत संपादकीय (डिजाइन फोटो)
नवभारत डेस्क: पाकिस्तान अच्छी तरह जानता है कि संयुक्त राष्ट्र की किसी भी बैठक में कश्मीर मुद्दा उठाने पर उसे बार-बार मुंह की खानी पड़ेगी फिर भी वह अपनी हरकत से बाज नहीं आता। यूएन के शांति अभियानों की प्रभाव क्षमता बढ़ाने के संबंध में चर्चा के लिए बुलाई गई बैठक में पाकिस्तान के प्रतिनिधि ने कश्मीर का मुद्दा उठाया। इस पर भारत के स्थायी प्रतिनिधि पी हरीश ने दो टूक शब्दों में कहा कि जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग था और हमेशा रहेगा। पाक को समझना चाहिए कि वह जिस पीओके (पाक कब्जे के कश्मीर) में बैठा है, उसे छोड़ना ही पड़ेगा।
जम्मू-कश्मीर पर पाकिस्तान के बेतुके बयान न तो उसके झूठे दावों को सही ठहरा सकते हैं, न ही आतंकवाद फैलाने की उसकी नीति को। वह इस मंच का ध्यान भटकाने और अपने संकीर्ण और विभाजनकारी एजेंडा को आगे बढ़ाने की कोशिश न करे। भारत की आजादी के 2 माह बाद 26 अक्टूबर 1947 को पाकिस्तान ने कबायलियों को भेजकर कश्मीर पर हमला कर दिया था जिनका साथ पाकिस्तानी फौज ने दिया था। तब कश्मीर के महाराजा हरिसिंह की गुहार पर भारत ने हमलावरों को खदेड़ा लेकिन तब तक लगभग एक तिहाई कश्मीर पर पाकिस्तान अवैध कब्जा कर चुका था।
पिछले 77 वर्षों में पाक ने 40 लाख की आबादी वाले पीओके की दुर्दशा कर डाली है। वहां भारी बेरोजगारी है और युवाओं को आतंकी बनने के लिए मजबूर किया जाता है। एमनेस्टी इंटरनेशनल के अनुसार 2001 से लेकर अब तक पीओके में 5,000 से ज्यादा लोगों का सेना या आईएसआई ने अपहरण किया जिनकी हत्या किए जाने की आशंका है।
पीओके में भारी गरीबी और अभाव है। शिक्षा और स्वास्थ्य की पूरी तरह उपेक्षा की गई है। वहां मुश्किल से 1 लाख लोगों पर 2 डॉक्टर उपलब्ध हैं। पीओके में निर्मित 1,000 मेगावाट बिजली का 80 प्रतिशत से ज्यादा पाक के पंजाब प्रांत को दिया जाता है जबकि पीओके को जबरदस्त बिजली कटौती झेलनी पड़ती है। 2023 में पीओके में चुनाव का नाटक करवाया गया। वहां पाकिस्तान समर्थक पार्टियों ने ऐसे उम्मीदवारों व स्थानीय पार्टियों को धमकाया जो स्वायत्तता की या पाकिस्तान से अलग होने की मांग कर रहे थे।
नवभारत विशेष से जुड़े सभी रोचक आर्टिकल्स पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
पाकिस्तानी शासन के जुल्म और भेदभाव की वजह से पीओके व बलूचिस्तान की जनता में भारी नाराजी है। वह पाकिस्तान से नाता तोड़ना चाहती है। भारत भी साफ कह चुका है कि कश्मीर प्रश्न का हल यही है कि पाकिस्तान पीओके को भारत को वापस लौटा दे अन्यथा भारत उसे कभी न कभी हासिल करके रहेगा।
लेख- चंद्रमोहन द्विवेदी के द्वारा