रावण के दस सिर किन बुराईयों के हैं प्रतीक (सौ. सोशल मीडिया)
Dussehra 2025: आज देशभर में दशहरा का पर्व मनाया जा रहा है। इस दिन ही भगवान श्रीराम ने अधर्मी रावण का अंत किया था। वहीं पर बुराई पर अच्छाई का प्रतीक यह खास दिन माना जाता है।दशहरा के विशेष अवसर पर देशभर में रावण, मेघनाद और कुंभकरण के पुतलों का दहन किया जाता है। धार्मिक ग्रंथों के मुताबिक रावण शास्त्रों का ज्ञाता था और उसके 10 सिर उसकी शक्ति को दर्शाते थे। कई लोग नहीं जानते है कि, रावण के 10 सिरों का राज, आखिर हर एक सिर का क्या अर्थ है जानते है।
दशहरा के पर्व पर रावण के दस सिरों के बारे में बताया गया है जिसमें हर सिर का क्या अर्थ होता है चलिए जानते है…
1-काम
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कहा गया है कि, रावण का पहला सिर उसकी अनियंत्रित इच्छाओं को दर्शाता है, जिसे उसकी हार का कारण माना जाता है।
2-क्रोध
दशहरा पर्व पर माना जाता है कि रावण का दूसरा सिर क्रोध को दर्शाता है। यानि कहा गया है कि, रावण का गुस्सा इतना अधिक था कि वह बिना किसी विचार विमर्श के काम करते थे और क्रोध के चलते सभी हदों को भी पार कर देते थे।
3-लोभ
इसके साथ रावण का तीसरा सिर लोभ का प्रतीक माना जाता है। कहते है कि, रावण के मन में इस संसार की हर वस्तुओं को पाने का लालच था और वह सभी चीजों पर अपना अधिकार पाना चाहते थे।
4-मोह
यहां पर रावण का चौथा सिर मोह का माना जाता है। इसके चलते ही उन्हें अपनी शक्ति और संपत्ति से अधिक मोह था, जिसके चलते सही और गलत की पहचान भी खो दी थी।
5-अहंकार
मान्यता के अनुसार, रावण का पांचवां सिर अहंकार को दर्शाता है, जिसे उनका सबसे बड़ा शत्रु माना गया है।
6-मद
मान्यता है कि रावण का छठा सिर मद को दर्शाता है यानी उन्हें अपने वैभव पर अत्यधिक गर्व था, जिसे उनकी हार का कारण भी माना जाता है।
7-ईर्ष्या
मान्यताओं के मुताबिक कहा गया है कि, रावण का सातवां सिर ईर्ष्या को दर्शाता है। कहते हैं कि रावण दूसरों की सफलता और अच्छाई को देखकर उसके मन में ईर्ष्या भर जाती थी।
8-चिंता
यहां पर माना जाता है कि, रावण का आठवां सिर चिंता का प्रतीक है होता है वहीं पर जिस कारण उनका मन अशांत रहता था।
9-द्वेष
यहां पर माना जाता है कि, रावण का नौवां सिर द्वेष को दर्शाता है , जो उनके मन को प्रतिशोध की भावना से भर देता था। यह रावण के अधर्मो का प्रतीक माना जाता है।
10-अज्ञान
माना जाता है कि, रावण का दसवां और आखिरी सिर अज्ञान का प्रतीक है, जो उसे धर्म-सत्य के मार्ग से भटका कर विनाश की ओर ले जाता था।