छठ पूजा के दौरान करें नियमों का पालन (सौ.सोशल मीडिया)
Chhath Puja Rules:लोक-आस्था का महापर्व छठ पूजा हिंदुओं का सबसे कठिन व्रतों में से एक है। इस महापर्व की शुरुआत दिवाली समाप्ति से हो जाती है। इस वर्ष भगवान सूर्य और छठी मैया को समर्पित छठ पूजा की शुरुआत 25 अक्टूबर से शुरू होकर जो 28 अक्टूबर 2025 तक चलेगी।
इस दौरान महिलाएं 36 घंटे तक निर्जला व्रत रखती हैं। छठ में महिलाएं छठी मैया की पूजा करती है। यह व्रत अच्छी फसल, परिवार की सुख-समृद्धि और संतान की लंबी उम्र के लिए रखा जाता है। छठ का व्रत बहुत कठिन व्रतों में से एक है। ऐसे में अगर आप पहली बार छठ की पूजा करने जा रहे हैं, तो कुछ बातों का विशेष ध्यान रखें। आइए जानें इस बारे में –
शास्त्रों के अनुसार, छठ पूजा के दौरान साफ-सफाई का बहुत ध्यान रखा जाता है। इस पर्व के नियम बेहद सख्त हैं, इसमें जरा सी भी लापरवाही नहीं करनी चाहिए। इसलिए पहली बार छठ व्रत करने वाले लोगों के लिए सभी नियमों का जान लेना बहुत जरूरी है।
छठ पूजा के दौरान घर की साफ-सफाई का खास ध्यान रखना चाहिए। घर के सभी सदस्यों को पूजा के दिनों में सात्विक भोजन ही करना चाहिए। नहाय-खाय के दिन भी लहसुन और प्याज का सेवन न करें।
हिन्दू धर्म ग्रथों के अनुसार, छठ का प्रसाद व्रत रखने वाले व्यक्ति को ही बनाना चाहिए। व्रत रखने वाले सदस्य को प्रसाद जरूर बनाना चाहिए या इसमें मदद करनी चाहिए।
इस दौरान स्वच्छता और शुद्धता का बहुत ध्यान रखें। छठ पूजा का प्रसाद चूल्हे पर ही बनाएं।
छठ पूजा के दौरान पहने गए वस्त्र अखंडित होने चाहिए। महिलाओं को फॉल वाली साड़ी नही पहननी चाहिए। पूजा के दौरान पहने गए वस्त्र पर सुई का इस्तेमाल नहीं हुआ होना चाहिए।
पूजा में बांस से बने सूप या टोकरी का ही इस्तेमाल किया जाता है। व्रती को इस दौरान चटाई बिछाकर जमीन पर ही सोना चाहिए।
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सनातन धर्म में छठ की महिमा अपरंपार हैं। छठ पूजा का व्रत सूर्य भगवान, उषा, प्रकृति, जल, वायु आदि को समर्पित हैं। इस त्यौहार को मुख्यत: बिहार में मनाया जाता हैं। इस व्रत को करने से निसंतान दंपत्तियों को संतान सुख प्राप्त होता हैं। कहा जाता है कि यह व्रत संतान की रक्षा और उनके जीवन की खुशहाली के लिए किया जाता हैं।
इस व्रत का फल सैकड़ों यज्ञों के फल की प्राप्ति से भी ज्यादा होता हैं। सिर्फ संतान ही नहीं, बल्कि परिवार में सुख समृद्धि की प्राप्ति के लिए भी यह व्रत किया जाता है।