
संसदीय लोकतंत्र में पक्ष-विपक्ष की भूमिका पर व्याख्यान
Nagpur Legislative Workshop: लोक लेखा समिति के अध्यक्ष और विधायक विजय वडेट्टीवार ने कहा कि भारत रत्न डॉ. बाबासाहब आम्बेडकर ने संविधान के माध्यम से हमें एक आदर्श संसदीय लोकतंत्र दिया है। विधानमंडल सदन के जरिए आम नागरिकों के मुद्दों को हल करने के साथ-साथ सत्ताधारी दल पर नियंत्रण रखने के लिए विपक्षी दल की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। 51वीं संसदीय अध्ययन कार्यशाला में ‘संसदीय लोकतंत्र में सत्ताधारी और विपक्षी दल का स्थान और भूमिका’ विषय पर मार्गदर्शन करते हुए वडेट्टीवार ने कहा कि शासन और प्रशासन का पारदर्शी होना आवश्यक है।
विपक्ष आम आदमी की ओर से शासन की पारदर्शिता और सरकारी कामकाज के बारे में सवाल पूछने की भूमिका निभाता है। विपक्षी दल सरकार की गलत नीतियों और निर्णयों को जनता के ध्यान में लाता है। सत्ताधारी दल के साथ कदम मिलाकर चलने वाला विपक्ष परिपक्व लोकतंत्र का लक्षण है, इसलिए विपक्ष का मजबूत होना आवश्यक है। इस अवसर पर विधान परिषद की उपसभापति डॉ. नीलम गोर्हे और विधानमंडल की सचिव मेघना तालेकर भी उपस्थित थीं।
डॉ. नीलम गोर्हे ने 51वीं संसदीय अध्ययन कार्यशाला में ‘लोकतांत्रिक प्रणाली में संसदीय नियमों का महत्व’ विषय पर मार्गदर्शन किया।
नीतिगत निर्णय: सामान्य लोगों के हित के लिए विधानमंडल में नीतिगत निर्णय लिए जाते हैं। लोकतंत्र की नींव: संसदीय उपकरणों का प्रभावी उपयोग ही लोकतंत्र का सच्चा आधार है। परिणाम: इसका उपयोग जनहित के निर्णय लेने में मदद करता है और जनप्रतिनिधियों को जनकल्याण के लिए प्रभावी ढंग से काम करने का अवसर देता है। सर्वोत्तम शासन प्रणाली: डॉ. गोर्हे के अनुसार लोकतंत्र दुनिया में सर्वोत्तम शासन प्रणाली है।
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