नोनी साग के बिना जितिया पर्व अधूरा माना जाता है (सौ.सोशल मीडिया)
Jitiya Vrat 2025: संतान की सुख-समृद्धि और लंबी आयु के लिए रखा जाने वाला ‘जीवित्पुत्रिका’ यानी कि जितिया व्रत इस बार 14 सितंबर, रविवार को मनाया जा रहा है। यह व्रत हर साल आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रखा जाता है। सनातन धर्म में इस पर्व का बड़ा महत्व है।
आपको बता दें, जितिया व्रत खासकर बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल में इसे पर्व को मुख्य रूप से मनाया जाता है। धार्मिक मत है कि जितिया व्रत करने से पुत्र की आयु लंबी होती है। साथ ही, पुत्र तेजस्वी और ओजस्वी होता है। इस दिन विवाहित महिलाएं निर्जला व्रत रख जगत के पालनहार भगवान श्रीकृष्ण जी की पूजा करती हैं। इस समय जीमूतवाहन की कथा का पाठ किया जाता है।
हिंदू लोक मतों के अनुसार, इस व्रत की शुरुआत सप्तमी से नहाय-खाय के साथ हो जाती है और नवमी को पारण के साथ इसका समापन होता है। ज्योतिष-शास्त्र के अनुसार, इस पर्व में कई सारे ऐसे चीजें और वस्तुएं हैं, जिसका प्रयोग विशेष माना जाता है। जिसके बिना यह पर्व अधूरा माना जाता है। ऐसे में आइए जान लेते हैं जितिया व्रत में नोनी साग खाने महत्व और इससे जुड़ी मान्यताएं-
ज्योतिषियों के अनुसार, नोनी के साग को बहुत ही पवित्र माना गया है। इसलिए इस साग का उपयोग जिउतिया पर्व में जरूर किया जाता है।
ज्योतिषियों का मानना है कि इस पर्व में महिलाओं को 24 घंटे से लेकर 36 घंटे तक का व्रत करना पड़ता है। जिसमें जल ग्रहण तक भी नहीं किया जाता है, तो उससे पहले ऐसी कुछ पौष्टिक आहार लिए जाते हैं, जिससे कि इतने लंबे समय तक महिलाओं को स्वस्थ रख सके। उसी में से एक नोनी का साग है, जो पौष्टिक आहार माना जाता है।
इस पर्व में न सिर्फ नोनी के साग, बल्कि, मरुआ की रोटी और मछली का भी विशेष महत्व है। यह नहा खाई से पहले ग्रहण किया जाता है। इन सब चीजों के बिना जितिया का महापर्व अधूरा माना गया है। इसलिए इस पर्व में नोनी के साग को बहुत ही पवित्र माना गया है।
हिंदू लोक मान्यताओं के अनुसार, नोनी का साग बेहद पवित्र माना जाता है। जितिया व्रत में यह साग खाना एक खास परंपरा है। कहते है नोनी के साग में भरपूर मात्रा में पोषक तत्व पाए जाते हैं जो लंबे समय तक उपवास रखने में मदद करता है। इसे पचाना भी बेहद आसान है।
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अक्सर व्रत के दौरान लंबे समय तक भूखे रहने के चलते कब्ज जैसी समस्या होती है। और यह इसे दूर करने में मदद करता है। साथ ही इसके कई आयुर्वेदिक महत्व है जिसके चलते व्रत में इसका सेवन जरूरी है।