नोनी के साग के फायदे (सौ.सोशल मीडिया)
संतान की सुख-समृद्धि और लंबी आयु के लिए रखा जाने वाला ‘जीवित्पुत्रिका’ (Jitiya Vrat 2024) यानी कि जितिका व्रत इस बार यह व्रत 25 सितंबर, बुधवार को है। यह व्रत हर साल आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रखा जाता है।सनातन धर्म में इस पर्व का बड़ा महत्व है। जितिया व्रत (Jitiya Vrat) माताएं अपनी संतान की लंबी उम्र, समृद्धि और उन्नत जीवन के लिए रखती हैं।
इस व्रत की शुरुआत सप्तमी से नहाय-खाय के साथ हो जाती है और नवमी को पारण के साथ इसका समापन होता है। ज्योतिष-शास्त्र के अनुसार, इस पर्व में कई सारे ऐसे चीजें और वस्तुएं हैं, जिसका प्रयोग विशेष माना जाता है। जिसके बिना यह पर्व अधूरा माना जाता है।
जितिया व्रत के दौरान कई बातों और चीजों का ख्याल रखना जरूरी होता है, इसमें चलिए जानते हैं किन चीजों का सेवन नहीं करें और किनका करें।
1- ऐसे ही आज हम बात कर रहे हैं, विलुप्त होने के कगार पर पहुंच चुकी ‘नोनी’ के साग की। यह साग अब आमतौर पर हर जगह नहीं मिलती है। लेकिन, जिउतिया पर्व में इस साग का बहुत अधिक महत्व होता है। ऐसे में आइए जान लेते हैं, आखिर जितिया पर्व में इस साग का उपयोग क्यों किया जाता है।
2- ज्योतिषियों के अनुसार, नोनी के साग को बहुत ही पवित्र माना गया है। इसलिए इस साग का उपयोग जिउतिया पर्व में जरूर किया जाता है।
3- ज्योतिषियों का मानना है कि इस पर्व में महिलाओं को 24 घंटे से लेकर 36 घंटे तक का व्रत करना पड़ता है। जिसमें जल ग्रहण तक भी नहीं किया जाता है, तो उससे पहले ऐसी कुछ पौष्टिक आहार लिए जाते हैं, जिससे कि इतने लंबे समय तक महिलाओं को स्वस्थ रख सके। उसी में से एक नोनी का साग है, जो पौष्टिक आहार माना जाता है।
4- इस पर्व में न सिर्फ नोनी के साग, बल्कि, मरुआ की रोटी और मछली का भी विशेष महत्व है। यह नहा खाई से पहले ग्रहण किया जाता है। इन सब चीजों के बिना जितिया का महापर्व अधूरा माना गया है। इसलिए इस पर्व में नोनी के साग को बहुत ही पवित्र माना गया है।