हल षष्ठी में भूलकर भी न करें ये 6 गलतियां (सौ.सोशल मीडिया)
Halshashthi Vrat Niyam : 14 अगस्त को हलषष्ठी का व्रत रखा जा रहा है। यह व्रत हिन्दू धर्म के खास त्योहारों में से एक है। भगवान श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम के जन्मदिवस के उपलक्ष्य में हर साल भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि के दिन मनाई जाती है।
सनातन धर्म में ‘हल षष्ठी’ व्रत का बड़ा महत्व है यह व्रत खासतौर पर संतान की दीर्घायु और खुशहाली के लिए रखा जाता है। शास्त्रों के अनुसार, हल षष्ठी के दिन भगवान श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम की पूजा अर्चना की जाती है। इसलिए इसे ‘बलराम जयंती’ के नाम से भी जानते हैं।
जो माताएं पहली बार हल षष्ठी का व्रत रखने वाली हैं, उनको कुछ नियमों का ध्यान रखना चाहिए क्योंकि कुछ गलतियों को करने से उनका व्रत टूट सकता है। इसकी वजह से उनको उपवास का पूर्ण फल नहीं मिलेगा। ऐसे में आइए ज्योतिषाचार्य डॉ. मृत्युञ्जय तिवारी से जानते हैं कि हल षष्ठी में कौन से काम नहीं करने चाहिए?
सनातन धर्म में ‘हल षष्ठी’ व्रत का बड़ा महत्व है यह व्रत खासतौर पर संतान की दीर्घायु और खुशहाली के लिए रखा जाता है।
देश के अलग-अलग हिस्सों में हलषष्ठी को अलग-अलग नामों से जाना जाता है। इसे ललही छठ, हर छठ, हल छठ, पीन्नी छठ या खमर छठ भी कहा जाता है। बलराम जी का मुख्य शस्त्र हल और मूसल है इसलिए उन्हें हलधर भी कहा जाता है। उन्हीं के नाम पर इस पावन पर्व का नाम हल षष्ठी पड़ा है।
ये भी पढ़ें–यह है जन्माष्टमी की सही तिथि, बन रहे हैं दुर्लभ महासंयोग, सिंह राशि समेत 3 राशियों की बल्ले बल्ले
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, हल छठ या हल षष्ठी का व्रत संतान की लंबी आयु और सुखमय जीवन के लिए रखा जाता है। इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती है और हल की पूजा के साथ बलराम की पूजा करती हैं। भगवान बलराम की कृपा से घर में सुख रहता है।