(कॉन्सेप्ट फोटो)
Rare Earth In India: भारत की सरकारी कंपनी IREL (Indian Rare Earths Limited) जापान और दक्षिण कोरिया की कंपनियों के साथ मिलकर रेयर अर्थ मैग्नेट (दुर्लभ धातु से बने चुंबक) का कमर्शियल उत्पादन शुरू करना चाहती है। यह कदम चीन पर निर्भरता कम करने की कोशिश का हिस्सा है। न्यूज एजेंसी रायटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, इंडियन रेयर अर्थ्स लिमिटेड जापान और दक्षिण कोरिया से रेयर अर्थ प्रोसेसिंग टेक्नॉलॉजी लाना चाहती है, संभव है कि इस मामले पर दोनों देशों की सरकारों के बीच बातचीत हो।
इंडियन रेयर अर्थ्स लिमिटेड इस साल अपने बोर्ड से कमर्शियल उत्पादन की मंजूरी लेने और अन्य देशों के साथ रेयर अर्थ माइनिंग व टेक्निकल पार्टनरशिप को औपचारिक रूप देने की योजना बना रही है। फिलहाल भारत के पास इतने बड़े पैमाने पर रेयर अर्थ को उच्च-शुद्धता स्तर पर रिफाइन और अलग करने की सुविधा नहीं है।
आपको बता दें कि दुनिया में ज्यादातर रेयर अर्थ माइनिंग पर चीन का एकलौता कब्जा है और इस साल अप्रैल में चीन ने इन दुर्लभ धातुओं और उनसे बने मैग्नेट का एक्सपोर्ट अन्य देशों के लिए रोक दिया था, जिससे भारत समेत दुनिया के कई देशों के ऑटोमोबाइल, एयरोस्पेस और सेमीकंडक्टर जैसी कई इंडस्ट्रीज की उत्पादन और सप्लाई चेन पर बुरा असर पड़ा है।
IREL ने Toyotsu Rare Earths India (जापान की Toyota Tsusho की यूनिट) से भी संपर्क किया है, ताकि जापान की कंपनियों तक प्रोसेसिंग टेक्नॉलॉजी के लिए पहुंच बनाई जा सके। शुरुआती बातचीत में इस बात पर भी चर्चा हुई कि कोई जापानी कंपनी भारत में ही प्लांट लगाए। जानकारी के अनुसार, IREL अपने तकनीकी साझेदार को नियोडिमियम ऑक्साइड (एक रेयर अर्थ एलिमेंट) उपलब्ध कराएगी, जो मैग्नेट बनाकर भारत को वापस भेजेगा। फिलहाल कंपनी के पास हर साल 400500 मीट्रिक टन नियोडिमियम बनाने की क्षमता है, जिसे साझेदारी के हिसाब से बढ़ाया भी जा सकता है।
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IREL देश में रेयर अर्थ खनन और प्रोसेसिंग क्षमता बढ़ाने के साथ-साथ अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, मलावी और म्यांमार में भी खनन के अवसर तलाश रही है। भारत में रेयर अर्थ खनन का अधिकार केवल IREL के पास है, जो परमाणु ऊर्जा और रक्षा से जुड़ी जरूरतों के लिए सामग्री मुहैया कराती है।