आखिर क्यों खिलाते है कुत्तों को रोटी (सौ.सोशल मीडिया)
Dog Spiritual Significance: हिंदू धर्म में केवल देवी-देवताओं की पूजा ही नहीं, बल्कि कई जीव-जंतु के साथ एक आध्यात्मिक संबंध भी जोड़ा गया है। खासकर कुत्ते। भारतीय संस्कृति में कुत्तों को सिर्फ वफादारी का प्रतीक नहीं, बल्कि धर्म के प्रहरी और दैवीय संदेशवाहक भी माना गया है।
हिन्दू शास्त्रों के अनुसार, मंदिर से लौटते वक्त कुत्तों को रोटी या प्रसाद देना सिर्फ दया का कार्य नहीं, बल्कि एक शक्तिशाली धार्मिक उपाय है, जो काल भैरव की कृपा, पितृदोष निवारण और नकारात्मक शक्तियों से रक्षा का माध्यम बनता है। मान्यता है कि यह छोटा-सा कर्म आपके जीवन में सौभाग्य, सुरक्षा और समृद्धि के द्वार खोल देता है। ऐसे में आइए जानते है मंदिर से लौटते वक्त कुत्तों को रोटी देने से क्यों खुलते हैं किस्मत के दरवाजे
ज्योतिषयों के अनुसार, मंदिर से लौटते वक्त कुत्तों को रोटी खिलाने से काल भैरव की कृपा होती है। काल भैरव, जो शिव के रौद्र रूप हैं, का वाहन काला कुत्ता है। मंदिर से लौटकर कुत्ते को भोजन कराना भैरव देव को अर्पण करने के समान माना जाता है। इससे शत्रु बाधाएं और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
ऋग्वेद में वर्णन है कि यमराज के द्वार पर श्यामा और शबला नामक दो दिव्य कुत्ते पहरा देते है। इन्हें भोजन कराने से पितृ प्रसन्न होते हैं और अकाल मृत्यु का भय कम होता है।
गरुड़ पुराण और स्कंद पुराण के अनुसार, भूखे कुत्ते को रोटी देने से न केवल पुण्य मिलता है बल्कि यह गृह दोष और राहु-केतु से जुड़ी बाधाओं को भी दूर करता है।
धार्मिक मान्यता के अनुसार, मंदिर से लौटते वक्त आपके साथ ईश्वर का आशीर्वाद और दिव्य ऊर्जा मानी जाती है पूजा के बाद, भक्त का मन और शरीर दोनों ही शुद्ध और ऊर्जावान होते है। जब यह ऊर्जा जीवों के साथ बांटी जाती है, तो इसका प्रभाव कई गुना बढ़कर आपके जीवन में लौटता है।
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कुत्ता संकट आने से पहले चेतावनी देने वाला प्राणी है, इसलिए उसे भोजन कराना जीवन में सुरक्षा और स्थिरता लाता है। इसलिए भारतीय संस्कृति में कुत्तों को सिर्फ वफादारी का प्रतीक नहीं, बल्कि धर्म के प्रहरी और दैवीय संदेशवाहक भी माना गया है।