प्रेमानंद महाराज (सौ.सोशल मीडिया)
Janmashtami Vrat Rules: कल पूरे देशभर में जन्माष्टमी का पावन पर्व मनाया जाएगा। नंद के लाल श्री कृष्ण के जन्मोत्सव की तैयारी अंतिम चरण में है। ज्योतिषयों के अनुसार, इस साल 16 अगस्त के दिन श्रीकृष्ण का 5252वां जन्मोत्सव बड़े धूम-धाम के साथ मनाया जाएगा। यह महापर्व भगवान कृष्ण के जन्म के उपलक्ष्य में मनाया जाता है, और इस दिन मंदिरों और घरों में विशेष सजावट, भजन-कीर्तन, और पूजा-अर्चना की जाती है।
ज्योतिषयों के अनुसार, इस बार जन्माष्टमी का पावन पर्व दो दिन मनाया जा रहा है। मंदिर और गृहस्थ वाली पूजा दो दिन होगी। 15 को मंदिर में पूजा होगी तो वहीं 16 तारीख को घरों में नंद लाला का जन्मदिन मनाया जाएगा।
वहीं व्रत को लेकर लोगों के मन में कई तरह के सवाल होते हैं कि रखा जाए या ना रखा जाए? यहां पर वृंदावन के महान संत प्रेमानंद महाराज ने अब जन्माष्टमी के व्रत को लेकर सही नियम बताया है। उनका कहना है कि अगर सही तरीके से जन्माष्टमी का व्रत ना रखी जाए तो इसका पूरा फल नहीं मिलता है। ऐसे में आइए जानते है जन्माष्टमी व्रत को लेकर प्रेमानंद महाराज का क्या कहना है।
प्रेमानंद महाराज बताते है कि, जन्माष्टमी वाले दिन नए वस्त्र और आभूषणों से श्री कृष्ण का श्रृंगार करना चाहिए। इसी के साथ श्रीकृष्ण के 108 नाम का जाप करना चाहिए।
साथ ही इस दिन कृष्ण लीला की कथाएं सुननी चाहिए और घर में ही रहकर श्रद्धापूर्वक कीर्तन करना चाहिए।
उन्होंने आगे बताया कि जन्माष्टमी वाले दिन ब्रह्मचर्य का पालने करने के साथ-साथ तामसिक भोजन खाने से बचना चाहिए। श्रीकृष्ण के जन्म के बाद ही भोग के प्रसाद के साथ ही अपना व्रत खोल लेना चाहिए।
प्रेमानंद महाराज का कहना है कि, जन्माष्टमी वाले दिन भक्तों को कृष्ण मंदिर में जाकर भगवान के दर्शन जरूर करने चाहिए। कहते हैं ऐसा करने से भगवान कृष्ण की कृपा होती है। इस दिन विधि-विधान से की गई पूजा से भक्तों को खूब लाभ मिलता है।
इसके अलावा प्रेमानंद महाराज ने ये भी कहा कि भगवान कृष्ण को जन्माष्टमी पर चावल से बने मालपुए और घर में बने मक्खन का भोग जरूर लगाना चाहिए क्योंकि उन्हें ये काफी पसंद है।
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संत प्रेमानंद महाराज कहते हैं कि हिंदू धर्म के शास्त्रों में ये बात लिखी है कि एकादशी का व्रत का बहुत अधिक महत्व होता है। मान्यता है कि इस व्रत से पापों से मुक्ति मिलती है। वहीं, अगर बात जन्माष्टमी व्रत की करें तो, जन्माष्टमी का व्रत 100 एकादशी व्रत के बराबर होता है। इस दिन व्रत रखने से 100 पापों से मुक्ति मिलती है। इस व्रत को रखने से इंसान के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं।