पितृपक्ष के दौरान नए कपड़े खरीदना शुभ या अशुभ (सौ.सोशल मीडिया)
Pitru Paksha 2025: 7 सितंबर से पितृपक्ष की शुरुआत हो गई है। यह अवधि हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है। पितृ पक्ष को पूर्वजों की आत्मा की शांति और उनका आशीर्वाद पाने का एक पवित्र समय माना जाता है। यह समय श्राद्ध, तर्पण और दान-पुण्य जैसे अनुष्ठानों के लिए समर्पित है। इस दौरान कई लोग अक्सर दुविधा में रहते हैं कि क्या नए कपड़े पहनना या खरीदना उचित है। ऐसे में आइए जानते है इस बारे में-
हिन्दू शास्त्रों में यह स्पष्ट रूप से कहा गया है कि पितृपक्ष में नए कपड़े पहनना या खरीदना शुभ नहीं माना गया है। यह समय भौतिक सुखों पर ध्यान देने के बजाय आध्यात्मिक शुद्धता और पूर्वजों के प्रति सम्मान करने का होता है।
इस अवधि का मुख्य उद्देश्य अपने पितरों को याद करना और उनकी आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध कर्म करना है। इसलिए, इन 16 दिनों में दिखावे से दूर रहना ही उचित माना जाता है।
ज्योतिषयों के अनुसार, पितृपक्ष में सादे और सात्विक कपड़े पहनना सबसे शुभ होता है। सफेद, हल्के पीले या अन्य हल्के रंग के वस्त्र मानसिक शांति और पवित्रता बनाए रखने में मदद करते हैं।
ऐसा इसलिए है, क्योंकि नए और चमकीले कपड़े पहनने से मन में अभिमान या भौतिकवाद का भाव आ सकता है, जो इस पवित्र समय की सादगी में बाधा डालता है। सादगी और संयम का पालन करके ही व्यक्ति अपने पूर्वजों की सेवा सच्चे मन से कर सकता है।
कहा जाता है कि अगर आपके परिवार या क्षेत्र में ऐसी कोई विशेष परंपरा है कि पितृ पक्ष में नए कपड़े पहने जाते हैं, तो आप उसे निभा सकते हैं। धार्मिक मान्यताओं में लचीलापन होता है और व्यक्तिगत परंपराओं का भी सम्मान किया जाता है।
लेकिन, यह याद रखना ज़रूरी है कि मुख्य ध्यान श्राद्ध कर्म, पूजा-पाठ और दान-पुण्य पर ही होना चाहिए।
जानकार बताते है कि पितृपक्ष में नए कपड़े पहनना या खरीदना आवश्यक नहीं है। यह समय श्रद्धा और भक्ति का है, जहां सादगी और सात्विकता को सबसे अधिक महत्व दिया जाता है।
ये भी पढ़े–रविवार से पितृपक्ष शुरू, जानिए कितने प्रकार के होते हैं श्राद्ध, सबकी अलग विशेषता और लाभ
सादे और हल्के रंग के कपड़े पहनकर आप पूर्वजों की सेवा में अपनी भक्ति और आदर व्यक्त कर सकते हैं। पितृपक्ष का असली मकसद भौतिक वस्तुओं से परे होकर अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति और उनका आशीर्वाद पाना है।