
36 घंटे का निर्जला व्रत आज से शुरू (सौ.सोशल मीडिया)
Chhath Kharna Pujan: बिहार और उत्तरप्रदेश समेत देशभर में इन दिनों छठ पर्व की धूम मची हुई है। बीते दिन सर्वार्थ सिद्धि व शोभन योग में नहाय-खाय से पर्व की शुरुआत हो गई है। वहीं पर आज छठ पर्व का दूसरा दिन यानि खरना पूजन है। आज कार्तिक शुक्ल पंचमी रविवार को रवि योग एवं सर्वार्थ सिद्धि योग में लोहंडा (खरना) में व्रती पूरे दिन का उपवास कर शाम में पूजा कर प्रसाद ग्रहण करेगी। इसके साथ ही व्रतियों का 36 घंटे का निर्जला उपवास का संकल्प लेंगी। इस खरना पूजा के लिए विशेष भोग तैयार किया जाता है। यहां पर खरना का प्रसाद खरना का प्रसाद व्रती मिट्टी के चूल्हे पर आम की लकड़ी से खीर व रोटी बनाएंगी। सूर्य षष्ठी सोमवार की शाम व्रती अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देंगी।
खरना का पूजा: संध्या 05:35 बजे 08:22 बजे तक
अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य: संघ्या 05:34 बजे तक
प्रातः कालीन सूर्य को अर्घ्य: प्रातः 06:27 बजे के बाद
#WATCH | औरंगाबाद, बिहार: छठ पूजा 2025 के पहले दिन श्रद्धालु नहाय खाय रस्म अदा करने देव सूर्य मंदिर पर पहुंच रहे हैं। pic.twitter.com/K7NsrucRDm — ANI_HindiNews (@AHindinews) October 25, 2025
खरना प्रसाद का सेवन करने के बाद ही महिलाएं 36 घंटे का कड़ा व्रत रखती है इसमें कुछ खाने या पीने के नियम नहीं होते है यानि निर्जला व्रत होता है। खरना का प्रसाद व्रती के लिए एक प्रकार का अंतिम सात्विक भोजन है। जो व्रती को कठोर 36 घंटे के उपवास के लिए शारीरिक और मानसिक रूप से तैयार करता है। यहां पर खरना की पूजा एक तौर पर व्रतियों के शुद्धिकरण करने की अंतिम प्रक्रिया है। जिसके बाद व्रती पूरी तरह से सूर्यदेव की भक्ति में लीन हो जाती हैं। गन्ने का रस और गुड़ के सेवन से त्वचा रोग, आंख की समस्याओं पर राहत मिलती है।
इसे लेकर आचार्य बताते है कि, छठ महापर्व खासकर शरीर, मन तथा आत्मा की शुद्धि का प्रतीक होता है। श्रद्धा पूर्वक व्रत उपासना करने वाले व्रतियों तथा श्रद्धालुओं पर खरना से छठ के पारण तक छठी माता की कृपा बरसती है। प्रत्यक्ष देवता सूर्य को पीतल या तांबे के पात्र से अर्घ्य देने से आरोग्यता का वरदान मिलता है।
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यहां पर आचार्य यह भी बताते है कि, छठ महापर्व खासकर शरीर, मन तथा आत्मा की शुद्धि का प्रतीक होता है। श्रद्धा पूर्वक व्रत उपासना करने वाले व्रतियों तथा श्रद्धालुओं पर खरना से छठ के पारण तक छठी माता की कृपा बरसती है। छठ पर्व में सूर्य देवता की पूजा का महत्व होता है। इसमें प्रत्यक्ष देवता सूर्य को पीतल या तांबे के पात्र से अर्घ्य देने से आरोग्यता का वरदान मिलता है। खास बात है कि, छठ पूजा के दौरान प्रसाद बनाते समय प्रति लोक गीत गाते हुए बनाती हैं। पूजा सामग्री के रूप में व्रती सिंदूर, चावल, बांस की टोकरी, धूप, शकरकंद, पत्ता लगा हुआ गन्ना, नारियल, कुमकुम , कपूर, सुपारी, हल्दी, अदरक, पान, दीपक, घी, गेहूं, गंगाजल आदि का उपयोग करती हैं। इस व्रत में ठेकुआ प्रसाद का महत्व होता है।






