
पहली फेमिना मिस इंडिया मेहर कैस्टेलिनो का 81 साल की उम्र में निधन
First Femina Miss India Meher Castelino Passed Away: भारत की पहली फेमिना मिस इंडिया और फैशन पत्रकारिता की दिग्गज शख्सियत मेहर कैस्टेलिनो का 81 वर्ष की उम्र में निधन हो गया है। उनके निधन की पुष्टि फेमिना मिस इंडिया ऑर्गनाइजेशन ने सोशल मीडिया के जरिए की, जिसके बाद फैशन और मीडिया जगत में शोक की लहर दौड़ गई। मुंबई की गलियों से निकलकर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंच तक अपनी पहचान बनाने वाली मेहर कैस्टेलिनो को भारतीय फैशन इंडस्ट्री की नींव मजबूत करने वाली महिलाओं में गिना जाता है।
मेहर कैस्टेलिनो का जन्म मुंबई में हुआ था। उन्होंने साल 1964 में फेमिना मिस इंडिया का खिताब जीतकर इतिहास रच दिया था। इसके साथ ही उन्होंने मिस यूनिवर्स और मिस यूनाइटेड नेशन्स जैसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत का प्रतिनिधित्व किया। हालांकि, उन्होंने ग्लैमर की दुनिया में सीमित रहने के बजाय एक अलग राह चुनी और फैशन पत्रकारिता को अपना करियर बनाया।
1970 के दशक में जब फैशन को सिर्फ शोबिज और ग्लैमर तक सीमित माना जाता था, उस दौर में मेहर कैस्टेलिनो ने इसे एक गंभीर और सम्मानजनक पेशे के रूप में स्थापित करने की दिशा में अहम भूमिका निभाई। उनका पत्रकारिता करियर 1973 में शुरू हुआ, जब उनका पहला लेख ईव्स वीकली में प्रकाशित हुआ। इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा और करीब 130 से ज्यादा राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय अखबारों और मैगजीनों के लिए लेखन किया।
मेहर कैस्टेलिनो की लेखनी की खासियत यह थी कि वह फैशन को केवल कपड़ों या ट्रेंड्स तक सीमित नहीं रखती थीं, बल्कि उसके सामाजिक, सांस्कृतिक और व्यावसायिक पहलुओं को भी गहराई से समझाती थीं। उन्होंने फैशन पर कई महत्वपूर्ण किताबें भी लिखीं, जिनमें ‘मैनस्टाइल’, ‘फैशन कैलिडोस्कोप’ और ‘फैशन म्यूजिंग्स’ प्रमुख हैं। इन किताबों ने फैशन छात्रों, डिजाइनर्स और पाठकों को इंडस्ट्री को समझने का नया नजरिया दिया।
वह लैक्मे फैशन वीक जैसे बड़े फैशन इवेंट्स में आधिकारिक फैशन लेखक के रूप में जुड़ी रहीं और कई प्रतिष्ठित मंचों पर जज और स्पीकर के तौर पर भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराती रहीं। फैशन के अलावा उन्होंने ब्यूटी, लाइफस्टाइल और ट्रैवल जैसे विषयों पर भी लेख लिखे। मेहर कैस्टेलिनो अपने पीछे बेटे कार्ल, बहू निशा और बेटी क्रिस्टिना को छोड़ गई हैं। उनका जाना भारतीय फैशन और पत्रकारिता जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति है। उनकी सोच, लेखनी और योगदान आने वाली पीढ़ियों को हमेशा प्रेरित करता रहेगा।






