
पत्नी से क्रूरता करने वाले पुरुषों का अंत (सौ.सोशल मीडिया)
Garuda Purana Punishment: ‘गरुड़ पुराण’ हिंदू धर्म के प्रमुख ग्रंथों में से एक है, यह अठारह महापुराणों में से एक है। इस ग्रंथ में जीवन, मृत्यु और कर्मफल से जुड़े सिद्धांतों का विस्तार से उल्लेख किया गया है। हिंदू लोक मान्यता के अनुसार, यह ग्रंथ केवल मृत्यु के बाद के जीवन, पुनर्जन्म और मोक्ष के मार्ग ही नहीं बताता, बल्कि यह भी बताता है कि मनुष्य को उसके कर्मों के आधार पर किस प्रकार का दंड मिलता है।
गरुड़ पुराण में स्पष्ट रूप से बताया गया है कि पत्नी के साथ क्रूरता या दुर्व्यवहार करने वाले पुरुष को मृत्यु के बाद किस प्रकार की भयानक यातनाएं झेलनी पड़ती हैं। ऐसे में आज आइए जानते हैं कि पत्नी के साथ क्रूरता करने वालों को व्यक्तिओ मृत्यु के बाद कौन सी सजा मिलती है?
गरुड़ पुराण के सातवें अध्याय के अनुसार, पति अगर पत्नी के साथ बुरा व्यवहार यानी मारता पीटता है, तो उसे मरने के बाद सीधे ‘रौरव नरक’ में भेजा जाता है। रौरव नरक में रुरु नामक भयंकर सांप रहते हैं, जो लगातार पत्नी के साथ क्रूरता करने वाले को डंसते रहते है।
गरुड़ पुराण के दसवें अध्याय में मुख्य रूप से विवाहेतर संबंधों के दुष्परिणामों के बारे में बताया गया है गरुड़ पुराण का श्लोक है- “यस्तु भार्यापरित्य परस्त्रिषु रामेत नरः, स कुंभिनिपके गोरे पच्यते कालसंत्य। ” यानी जो पुरुष अपनी पत्नी से संबंध अलग करके किसी दूसरी स्त्री से संबंध रखता है, उसे मरने के बाद ‘कुंभिनीपाक’ नामक भयंकर नरक में भेजा जाता है।
इस घोर नरक में उसे समय-समय पर (कालसंत्य) अत्यंत कष्टदायक यातनाएं भोगनी पड़ती हैं।
गरुड़ पुराण में यह भी बताया गया है कि वह पति जो अपनी पत्नी की भावनाओं की उपेक्षा (इग्नोर) करता है, उसके साथ अच्छा व्यवहार नहीं करता है, या उसे कोई भी कार्य करने के लिए जबरदस्ती या मजबूर करता है, वह घोर पाप करता है। ऐसे व्यक्ति का न सिर्फ सांसारिक (लौकिक) जीवन बिगड़ता है, बल्कि वह अपने आध्यात्मिक मार्ग से भी भटक जाता है।
शास्त्रों के अनुसार, शास्त्रों में पत्नी का सम्मान इसलिए अत्यंत आवश्यक माना गया है क्योंकि दांपत्य जीवन को धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष- इन चारों पुरुषार्थों की आधारशिला कहा गया है। पत्नी को केवल पारिवारिक सदस्य नहीं, बल्कि जीवन की सहधर्मिणी माना गया है, जो हर धार्मिक और सामाजिक कर्तव्य में पति के साथ समान भागीदार होती है।
मनुस्मृति, गरुड़ पुराण और वेदों में यह स्पष्ट संदेश मिलता है कि जहां नारी का सम्मान होता है, वहां देवताओं का वास होता है। इसका अर्थ यह है कि जिस घर में पत्नी को आदर मिलता है, वहां सुख, शांति और समृद्धि बनी रहती है।
यह भी पढ़ें-आज है भगवान शिव जी से विशेष आशीर्वाद पाने का योग, शाम को कर लें ये उपाय, धन की समस्या होगी दूर!
धार्मिक दृष्टि से पत्नी का अपमान या उस पर अत्याचार अधर्म माना गया है। शास्त्र बताते हैं कि ऐसे कर्मों से व्यक्ति पुण्य से वंचित हो जाता है और जीवन में मानसिक अशांति, पारिवारिक कलह और असफलता का सामना करता है। इसके विपरीत, पत्नी का सम्मान करने वाला पुरुष न केवल सामाजिक रूप से प्रतिष्ठा प्राप्त करता है, बल्कि आध्यात्मिक उन्नति की ओर भी अग्रसर होता है।






