
साल 2025 की आखिरी मासिक शिवरात्रि (सौ.सोशल मीडिया)
Shivratri Puja Vidhi: साल 2025 की आखिरी मासिक शिवरात्रि 18 दिसंबर, गुरुवार को मनाई जाएगी, जो प्रदोष व्रत की तरह ही भगवान शिव और शक्ति के मिलन के लिए समर्पित है। वैसे तो, साल में एक बार महाशिवरात्रि का बड़ा उत्सव आता है, लेकिन शास्त्रों के अनुसार प्रत्येक महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को आने वाली शिवरात्रि का भी विशेष आध्यात्मिक महत्व है।
यह दिन भगवान शिव और माता शक्ति के मिलन की ऊर्जा का प्रतीक है। मान्यता है कि, जो भक्त सच्ची श्रद्धा से इस दिन उपवास रखते हैं और रात के समय महादेव की पूजा करते हैं, उनके जीवन से बड़े से बड़ा संकट टल जाता है। ऐसे में आइए जानते हैं साल 2025 की आखिरी मासिक शिवरात्रि कब पड़ रही है, क्या है इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त और इससे जुड़े लाभ?
आपको बता दें, पंचांग के मुताबिक, पौष माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि का प्रारंभ 18 दिसंबर को सुबह 2 बजकर 32 मिनट पर होगा। इस तिथि का समापन 19 दिसंबर को सुबह 4 बजकर 49 पर है। ऐसे में पौष मासिक शिवरात्रि 18 दिसंबर 2025 को मान्य होगी।
पंचांग के मुताबिक, मासिक शिवरात्रि पर शिव पूजा के लिए पहला मुहूर्त सुबह 11:57 से दोपहर 12:38 मिनट तक रहेगा। रात्रि मुहूर्त रात 11 बजकर 51 मिनट से देर रात 12.45 तक है। इस अवधि में आप महाकाल की उपासना कर सकते हैं। इसके अलावा मासिक शिवरात्रि पर अनुराधा नक्षत्र और धृति योग का संयोग बना रहेगा। चंद्रमा वृश्चिक राशि में संचरण करेंगे।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मासिक शिवरात्रि पर श्रद्धा और नियम से व्रत रखने से भगवान शिव शीघ्र प्रसन्न होते हैं। यह व्रत विशेष रूप से कर्ज, रोग, मानसिक तनाव और पारिवारिक परेशानियों से मुक्ति दिलाने वाला माना गया है। साल की आखिरी मासिक शिवरात्रि का महत्व और भी बढ़ जाता है।
इस दिन शिव पूजा के लिए निशिता काल को सर्वोत्तम माना जाता है। इसके अलावा प्रदोष काल में भी शिवलिंग पर जलाभिषेक करने से विशेष पुण्य प्राप्त होता है। भक्त दिनभर व्रत रखकर रात्रि में भगवान शिव की आराधना करते हैं।
शिवरात्रि के दिन सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें और व्रत का संकल्प लें। इसके बाद शिवलिंग पर जल, दूध, बेलपत्र, धतूरा और भस्म अर्पित करें। “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जप करते हुए भगवान शिव की पूजा करें और अंत में शिव आरती करें।
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मान्यता है कि मासिक शिवरात्रि का व्रत करने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा आती है। भक्तों को भय, बाधा और नकारात्मक प्रभावों से मुक्ति मिलती है तथा सुख-समृद्धि और मनोकामना पूर्ति का आशीर्वाद प्राप्त होता है।






