Saurabh Bhardwaj ने दिल्ली सरकार पर प्रदूषण नियंत्रण के बजाय वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) के आंकड़ों में बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा करने का आरोप लगाया गया है। आरोप है कि पर्यावरण मंत्री सिरसा जी और मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता दिल्ली वालों के साथ पहले दिन से ही ‘फ्रॉड’ कर रहे हैं। दिल्ली के लोग प्रदूषण बढ़ने से नहीं, बल्कि इस फर्जीवाड़े से नाराज हैं। सरकार की मंशा केवल आंकड़ों में प्रदूषण कम दिखाने की थी। इसके लिए उन्होंने दूरदराज के जंगलों में नए AQI स्टेशन लगाने की योजना बनाई ताकि औसत AQI कम हो सके। इसके अलावा, जब प्रदूषण बढ़ता है तो वे AQI मॉनिटरिंग स्टेशनों को बंद कर देते हैं, ताकि औसत रीडिंग कम रहे। जिन स्टेशनों पर रीडिंग ली जाती है, उन पर 24 घंटे पानी का छिड़काव किया जाता है, जिसे मुख्यमंत्री ने खुद एक टेलीविजन इंटरव्यू में स्वीकार किया है, यह मानते हुए कि यही AQI कम करने का एकमात्र तरीका है। सौरभ भारद्वाज का आरोप है कि सरकारी आंकड़ों में जब प्रदूषण 350 या 450 दिखाया जाता है, तब असली प्रदूषण का आंकड़ा 800 से 900 पार, यहां तक कि 1000 के आसपास होता है, जिसे हेरफेर करके 450-460 दिखाया जा रहा है। यह मांग की गई है कि सरकार प्रदूषण के लिए नहीं, बल्कि इस फर्जीवाड़े के लिए माफी मांगे।
Saurabh Bhardwaj ने दिल्ली सरकार पर प्रदूषण नियंत्रण के बजाय वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) के आंकड़ों में बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा करने का आरोप लगाया गया है। आरोप है कि पर्यावरण मंत्री सिरसा जी और मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता दिल्ली वालों के साथ पहले दिन से ही ‘फ्रॉड’ कर रहे हैं। दिल्ली के लोग प्रदूषण बढ़ने से नहीं, बल्कि इस फर्जीवाड़े से नाराज हैं। सरकार की मंशा केवल आंकड़ों में प्रदूषण कम दिखाने की थी। इसके लिए उन्होंने दूरदराज के जंगलों में नए AQI स्टेशन लगाने की योजना बनाई ताकि औसत AQI कम हो सके। इसके अलावा, जब प्रदूषण बढ़ता है तो वे AQI मॉनिटरिंग स्टेशनों को बंद कर देते हैं, ताकि औसत रीडिंग कम रहे। जिन स्टेशनों पर रीडिंग ली जाती है, उन पर 24 घंटे पानी का छिड़काव किया जाता है, जिसे मुख्यमंत्री ने खुद एक टेलीविजन इंटरव्यू में स्वीकार किया है, यह मानते हुए कि यही AQI कम करने का एकमात्र तरीका है। सौरभ भारद्वाज का आरोप है कि सरकारी आंकड़ों में जब प्रदूषण 350 या 450 दिखाया जाता है, तब असली प्रदूषण का आंकड़ा 800 से 900 पार, यहां तक कि 1000 के आसपास होता है, जिसे हेरफेर करके 450-460 दिखाया जा रहा है। यह मांग की गई है कि सरकार प्रदूषण के लिए नहीं, बल्कि इस फर्जीवाड़े के लिए माफी मांगे।






