
साल 2025 में कितना महंगा हुआ सोना-चांदी, (डिजाइन फोटो- नवभारत लाइव डॉट कॉम)
Gold- Silver Price Trend in 2025: साल 2025 समाप्त होने की कगार पर है और जब हम निवेश के बाजार की ओर मुड़कर देखते हैं, तो बुलियन मार्केट (सोना-चांदी) इस साल का सबसे बड़ा ‘सुपरस्टार’ बनकर उभरा है। भू-राजनीतिक तनाव, वैश्विक आर्थिक अस्थिरता और केंद्रीय बैंकों द्वारा सोने की भारी खरीदारी के कारण इस साल भारतीय सर्राफा बाजार ने नए कीर्तिमान स्थापित किए हैं।
यदि आपने साल की शुरुआत में सोने या चांदी में निवेश किया था, तो आज आपका पोर्टफोलियो चमक रहा होगा। आइए विस्तार से विश्लेषण करते हैं कि साल 2025 में इन दोनों कीमती धातुओं ने कैसा प्रदर्शन किया।
जनवरी 2025 की शुरुआत में सोने की कीमतें जहां से शुरू हुई थीं, दिसंबर आते-आते उनमें ऐतिहासिक उछाल देखने को मिला है। साल के दौरान सोने ने कई बार अपने पुराने रिकॉर्ड तोड़े। साल 2025 के शुरुआती महीनों में सोना 63,000 से 65,000 रुपये प्रति 10 ग्राम के स्तर पर कारोबार कर रहा था। लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तनाव और डॉलर की मजबूती के बीच भारतीय बाजार में सोने ने 1,00,000 रुपये के मनोवैज्ञानिक स्तर को न सिर्फ छुआ, बल्कि उसे पार भी कर दिया। साल 2025 में सोने ने निवेशकों को औसतन 50% से 55% तक का शानदार रिटर्न दिया है। फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) और अन्य पारंपरिक निवेशों की तुलना में यह कहीं अधिक है।
चांदी के लिए साल 2025 किसी वरदान से कम नहीं रहा। औद्योगिक मांग और सुरक्षित निवेश के विकल्प के रूप में चांदी ने इस साल सोने को भी पीछे छोड़ दिया है। साल की शुरुआत में चांदी 72,000 से 75,000 रुपये प्रति किलोग्राम के आसपास थी। हालांकि, सौर ऊर्जा (सोलर पैनल) और इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) में चांदी की बढ़ती औद्योगिक मांग ने इसकी कीमतों को रॉकेट बना दिया। साल के अंत तक चांदी की कीमतें 2,00,000 रुपये प्रति किलो के ऐतिहासिक स्तर को पार कर गईं। जानकारों का मानना है कि चांदी में आई यह तेजी औद्योगिक खपत के कारण अधिक टिकाऊ है।
विशेषज्ञों के अनुसार, 2025 में कीमतों में तेजी के पीछे 3 प्रमुख कारण रहे:-
1. जियोपॉलिटिकल टेंशन: मध्य पूर्व और अन्य अंतरराष्ट्रीय संघर्षों के कारण निवेशकों ने शेयर बाजार से पैसा निकालकर सोने को ‘सुरक्षित ठिकाना’ माना।
2. रुपये में गिरावट: डॉलर के मुकाबले रुपये के कमजोर होकर 91 के स्तर के पार जाने से भारत में आयातित सोना और महंगा हो गया।
3. केंद्रीय बैंकों की खरीदारी: भारत के रिजर्व बैंक (RBI) समेत दुनिया भर के केंद्रीय बैंकों ने अपने विदेशी मुद्रा भंडार में सोने की हिस्सेदारी बढ़ाई, जिससे मांग और आपूर्ति का संतुलन कीमतों के पक्ष में झुक गया।
2025 का ‘ईयर एंडर’ डेटा यह साफ करता है कि अनिश्चितता के दौर में सोना और चांदी आज भी सबसे भरोसेमंद संपत्ति हैं। हालांकि, साल के अंत में ऊंचे भावों पर कुछ मुनाफावसूली (Profit Booking) भी देखी गई है, लेकिन लंबी अवधि के निवेशकों के लिए यह साल बेहद मुनाफे वाला रहा। कुल मिलाकर, 2025 सोना और चांदी के निवेशकों के लिए सुनहरा साल साबित हुआ है।
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जहां सोने ने सुरक्षा प्रदान की, वहीं चांदी ने अपने औद्योगिक गुणों के कारण बेहतर रिटर्न दिया। 2026 में प्रवेश करते समय, बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि यदि वैश्विक परिस्थितियां ऐसी ही बनी रहीं, तो सोने की कीमतें 1.50 लाख के आसपास जा सकती है। वहीं, चांदी 2.50 लाख का आंकड़ा भी छू सकता है।






