कफ सिरप मामला (सौजन्य-सोशल मीडिया)
Yavatmal News: मध्य प्रदेश में कफ सिरप से बच्चों की मौतों की घटना ने पूरे देश में खलगली मचाई है। इसी बीच, यवतमाल शहर के एक निजी बच्चों के अस्पताल में सर्दी-खांसी की दवा लेने वाले 6 साल के बच्चे की मौत हो गई। इससे प्रशासन में हड़कंप मच गया है और एफडीए ने संबंधित अस्पताल के मेडिकल स्टोर से दवा के सैंपल लेकर उन्हे जांच के लिए भेज दिए हैं।
बच्चा कलंब तालुका के पिंपलखुटी का रहने वाला था। सर्दी-खांसी की शिकायत होने पर उसे उपचार के लिए शहर के दत्तचौक परिसर में स्थित अस्पताल में लाया गया था। 4 और 6 अक्टूबर को यवतमाल शहर के एक बाल रोग विशेषज्ञ द्वारा उसका इलाज किया गया। दवा लेने के बाद 7 अक्टूबर को उसकी मौत हो गई। बच्चे को सांस लेने में तकलीफ होने पर उसके माता-पिता उसे वापस निजी अस्पताल ले आए थे।
पूरी स्थिति देखने के बाद डॉक्टरों ने उसे सरकारी अस्पताल भेज दिया था। हालांकि बच्चे की मौत के बाद शव का पोस्टमार्टम किया गया। ऐसी जानकारी प्रशासन व्दारा दी गयी। मध्य प्रदेश में सामने आए मामले के चलते महाराष्ट्र में कफ सिरप को लेकर फिलहाल सावधानी बरती जा रही है। इसलिए, चिकित्सा प्रशासन ने संबंधित दवा की जांच के लिए एफडीए प्रशासन को पत्र भेजा।
इसके अनुसार, औषधि प्रशासन के सहायक आयुक्त मिलिंद कालेश्वरकर ने दवा के नमूने लेकर जांच के लिए भेज दिए हैं। इस बीच मृत बच्चे का विसरा भी प्रयोगशाला भेजा गया है। इन दोनों रिपोर्टों के आने के बाद ही मौत का सही कारण स्पष्ट हो पाएगा। इस बीच, मध्य प्रदेश में पिछले कुछ दिनों से कोल्ड्रेफ कफ सिरप पीने से कई बच्चों की मौत की घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं।
इसलिए, इस बात पर सतर्कता बरती जा रही है कि क्या महाराष्ट्र में भी ऐसी दवाओं की आपूर्ति की गई थी। हालांकि, स्वास्थ्य विभाग ने दावा किया है कि संबंधित दवा महाराष्ट्र में कहीं भी आपूर्ति नहीं की गई थी। अब, यवतमाल में खांसी से पीड़ित एक बच्चे की इलाज के बाद मौत हो गई। इसलिए, इस बात की पुष्टि की जा रही है कि इस बच्चे ने कौन सी दवा ली थी? दवा कहां से आई थी? और उसमें क्या ‘कंटेंट’ थे। यवतमाल में बच्चे की मौत का सही कारण अभी तक सामने नहीं आया है। हालांकि कफ सिरप मामले के कारण सभी की निगाहें इस घटना पर टिकी हैं।
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नियम है कि मरीज़ की डॉक्टर से जांच के बाद उसके द्वारा लिखे गए पर्चे के अनुसार ही दवा दी जानी चाहिए। हालांकि, यवतमाल समेत ज़िले के कई मेडिकल स्टोर बिना डॉक्टर के पर्चे के दवा दे रहे हैं। इससे कई बार गंभीर खतरा हो सकता है। अब, कफ सिरप मामले के चलते औषधि प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग इस नियम को लेकर अलर्ट मोड पर आ गया है।
सर्दी-खांसी से पीड़ित बच्चे का इलाज एक निजी अस्पताल में हुआ था। बाद में, उसे मेडिकल में रेफर कर दिया गया। उसकी मृत्यु के बाद, मेडिकल प्रशासन ने हमें दवा की जांच के लिए एक पत्र दिया। तदनुसार, हमने उस निजी अस्पताल के दवा स्टोर से कुल छह नमूने लिए। इन्हें जांच के लिए मुंबई प्रयोगशाला भेज दिया गया है।
– मिलिंद कालेश्वरकर, सहायक आयुक्त, औषधि प्रशासन, यवतमाल