
कानून से खिलवाड़ के कारण गोवा क्लब अग्निकांड (सौ. डिजाइन फोटो)
नवभारत डिजिटल डेस्क: पणजी से लगभग 25 किमी के फासले पर उत्तरी गोवा के अरपोरा क्षेत्र में स्थित नाइट क्लब ‘बिर्च बाई रोमियो क्लब’ में आधी रात से जरा पहले फर्स्ट फ्लोर के डीजे एरिया में तकरीबन 150 लोग मौजूद थे, एक बैली डांसर ‘महबूबा ओ महबूबा’ गाने पर नृत्य कर रही थी कि तभी, संभवतः आतिशबाजी से भयंकर आग भड़क गई। भागने के लिए कोई जगह नहीं थी, जिस कारण 5 पर्यटकों व 15 कर्मचारियों सहित 25 व्यक्तियों की दम घुटकर और जलकर मौत हो गई। इसके अलावा 6 अन्य गंभीर रूप से घायल हैं। इस भयावह त्रासदी ने एक बार फिर इस तथ्य को उजागर कर दिया कि जब नागरिकों की सुरक्षा की बात आती है, तो अनेक बिजनेस और सभी सरकारें लापरवाह हैं।
सरकारी अधिकारी नियमों को लागू करने में जानबूझकर या अनजाने में लापरवाही करते हैं। अब यह बात सामने आई है कि जिस क्लब में यह दुखद हादसा हुआ, उसके पास फायर लाइसेंस नहीं था और उसने बिल्डिंग व सुरक्षा नियमों का भी उल्लंघन किया था। इसके लिए क्लब के मालिक और वह सरकारी अधिकारी दोषी हैं, जिन्होंने इन कमियों के बावजूद क्लब को चलने दिया। क्लब के चार कर्मचारियों को हिरासत में लिया गया है व मालिकों का नाम भी एफआईआर में दर्ज है। लेकिन उन सरकारी अधिकारियों का क्या जिनकी जिम्मेदारी यह सुनिश्चित करना था कि कोई भी क्लब सुरक्षा नियमों का उल्लंघन न करने पाए? उनके खिलाफ कार्रवाई कब होगी? सवाल यह भी है कि क्या उन्होंने रिश्वत या किसी अन्य कारण से यह लापरवाही बरती ? गोवा में दिसंबर का माह जाड़ों की छुट्टियों, क्रिसमस व नए वर्ष के जश्न के कारण पर्यटकों का सीजन होता है। ऐसे में तो सरकारी कर्मचारियों को नियम लागू करने के संदर्भ में अधिक मुस्तैद होना चाहिए था। हां, राज्य सरकार के 5 अधिकारियों को निलंबित अवश्य किया गया है।
इस घटना की जांच के लिए राज्य सरकार ने एक समिति का भी गठन किया है, जो एक सप्ताह के भीतर अपनी रिपोर्ट देगी। मृतकों के आश्रितों को 5 लाख रुपये और घायलों को 50,000 रुपये देने की भी घोषणा की गई है। अनुमान है कि आग पटाखों के लकड़ी की छत पर टकराने से लगी। चंद ही मिनटों में पूरी बिल्डिंग धुंए से भर गई। नतीजतन भगदड़ मच गई। कुछ मेहमान सीढ़ीयों से रसोई की तरफ दौड़े, जहां वह स्टाफ के साथ बेसमेंट में फंस गए, जिससे निकलने के लिए कोई रास्ता नहीं था। असम, उत्तराखंड, झारखंड व नेपाल के 15 स्टाफ सदस्य व 5 पर्यटक बेसमेंट में फंसने के कारण जलकर मरे। दमकल विभाग को अपनी गाडियां क्लब से 400 मी के फासले पर पार्क करनी पड़ीं, जिससे यह अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है कि क्लब का प्रवेश द्वार कितना पतला रहा होगा। नाइट क्लब बिना उचित लाइसेंस के चल रहा था और वह सुरक्षा नियमों का भी पालन नहीं कर रहा था, ऐसा अब पुलिस का कहना है।
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यह भयावह त्रासदी एक बार फिर इस कड़वी हकीकत को सामने लाती है कि अपने देश में सुरक्षा नियमों को लेकर आपराधिक लापरवाही बरती जाती है। हालांकि मालिकों के खिलाफ गिरफ्तारी के वारंट जारी किए गए हैं व स्टाफ के वरिष्ठ सदस्यों को हिरासत में भी लिया गया है। आग भड़कती है, मासूम जिंदगियां स्वाहा हो जाती हैं, जांच के आदेश दिए जाते हैं, लेकिन जमीन पर कुछ बदलता नहीं है। यही चक्र दोहराया जाता रहता है, केवल त्रासदी का वेन्यू बदल जाता है.
आखिर सरकार कब जागेगी ?
पर्यटन स्थल के रूप में गोवा का निरंतर पतन होता जा रहा है। उसके पर्यटन एसेट्स की सही से निगरानी नहीं की जा रही है, जैसा कि इस आग से स्पष्ट है। पूरे देश में आग सुरक्षा मानकों के संपूर्ण ओवरहॉल की जरूरत है। चाहे पिछले साल राजकोट गेमिंग जोन में लगी आग हो या इस वर्ष अक्टूबर में जयपुर के सवाई मान सिंह अस्पताल में लगी आग हो। इन सबमें एक बात एकदम समान है कि सुरक्षा नियमों को सही से लागू नहीं किया गया। सवाल यह है कि कितनी त्रासदियों के बाद सरकारें जागेंगी और अधिकारी सुनिश्चित करेंगे कि सुरक्षा नियमों का ठीक से पालन किया जाए ?
लेख- विजय कपूर के द्वारा






