अवैध बैनर (सौजन्य-नवभारत)
Yavatmal News: ‘कानून तोड़ने के लिए ही बना है’ ऐसा अब आम चलन बन गया है। यही वजह है कि गली-मोहल्लों के किसी छोटे-मोटे नेता के जन्मदिन पर तथाकथित कार्यकर्ता पूरे शहर में बैनर और होर्डिंग्स लगाकर माहौल बना देते हैं। मगर इसके लिए प्रशासन से कोई अनुमति नहीं ली जाती। एक दिन के जन्मदिन के लिए लगाए गए ये बैनर महीनों तक वैसे ही लटके रहते हैं और शहर की खूबसूरती बिगाड़ते हैं।
शहर की मुख्य सड़कों पर नजर डालें तो अवैध होर्डिंग्स और फ्लेक्स ही दिखते हैं। इनमें सिर्फ नेताओं के जन्मदिन ही नहीं, बल्कि कोचिंग क्लासेस, व्यावसायिक सेल, डॉक्टरों की विजिट, नेताओं के दौरों का स्वागत ऐसे तमाम बैनर शामिल हैं। नगर परिषद से इनकी अनुमति तक नहीं ली जाती। इतना ही नहीं महावितरण के बिजली के खंभे भी छोड़े नहीं गए। एक बार नेता का जन्मदिन का बैनर वहां लग गया तो अगले साल के जन्मदिन तक वही लटका रहता है।
कई जगह ये इतने नीचे लगाए गए हैं कि सड़क से गुजरते वाहनों को परेशानी होती है। कितने बैनर वैध और कितने अवैध हैं, इसकी पक्की जानकारी खुद प्रशासन के पास नहीं है। इसके अलावा दुकानदारों ने भी अपने-अपने छोटे बोर्ड और फ्लेक्स लोहे के स्टैंड पर सड़क पर खड़े कर रखे हैं। नतीजा पहले से ही संकरी सड़क और भी तंग हो जाती है। नगर परिषद के पास पर्याप्त कर्मचारी न होने से इन पर कार्रवाई भी नहीं हो पाती।
पिछले साल मुंबई में एक बड़ा होर्डिंग गिरने से कई नागरिकों की मौत हो गई थी। उस समय पूरे राज्यभर में चर्चा छिड़ी और अवैध होर्डिंग्स पर कार्रवाई की लहर चली। लेकिन कुछ ही हफ्तों में मामला ठंडा पड़ गया। आज फिर यवतमाल समेत सभी शहरों में अवैध होर्डिंग्स जस के तस दिखाई दे रहे हैं।
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यवतमाल शहर के बस स्टैंड चौक, आर्णी रोड, स्टेट बैंक चौक, शारदा चौक, शनिमंदिर चौक, चांदनी चौक, तिरंगा चौक इन भीड़-भाड़ वाले इलाकों में बैनरों और होर्डिंग्स का अंबार लगा हुआ है।
शहर में फिलहाल 77 अधिकृत होर्डिंग्स लगे हैं। कुछ आउटसोर्स किए गए हैं। स्ट्रीट लाइट पोल पर भी शुल्क भरकर ही बैनर लगाए जाते हैं। हमारे यहां अनुमति शुल्क बहुत कम है, इसलिए लोग अनुमति ले ही लेते हैं। फिर भी कहीं अवैध बैनर लगे होंगे तो उन्हें कानूनन हटाया जाएगा।
– शुभम क्यातमवार, मुख्याधिकारी, यवतमाल