
विधायक रोहित पवार (सोर्स: सोशल मीडिया)
Rohit Pawar Attack On Congress : महाराष्ट्र के नगर पंचायत और नगर परिषद चुनावों के नतीजों ने महा विकास अघाड़ी (MVA) के भीतर के अंतर्विरोधों को उजागर कर दिया है। कांग्रेस की जीत पर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार गुट) के विधायक रोहित पवार ने तीखा हमला करते हुए उन्हें भाजपा की ‘B-टीम’ करार दिया है।
महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय चुनावों की तस्वीर साफ होते ही महा विकास अघाड़ी के भीतर खींचतान शुरू हो गई है। हालांकि गठबंधन में कांग्रेस ने सबसे ज्यादा 32 सीटें जीती हैं, लेकिन राकांपा (शरद पवार गुट) के नेता रोहित पवार ने इस सफलता पर खुशी जताने के बजाय कांग्रेस की भूमिका पर ही सवाल उठा दिए हैं। उन्होंने एक ट्वीट के जरिए अपनी गहरी नाराजगी जाहिर की और कांग्रेस की रणनीति की आलोचना की।
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) के विधायक रोहित पवार ने कांग्रेस पर बेहद गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि खुद को धर्मनिरपेक्षता और समानता का पैरोकार बताने वाली इस पार्टी ने अपने टिकट पर भाजपा उम्मीदवारों को चुनावी मैदान में उतारा। उन्होंने कांग्रेस पर हमला बोलते हुए कहा, “कांग्रेस ने भाजपा की B-टीम के रूप में काम किया और एक सांप्रदायिक पार्टी की जीत में योगदान दिया।” रोहित ने यह भी कहा कि आम लोग कांग्रेस की इन ‘टेढ़ी चालों’ का शिकार हो गए हैं और अब जिले में कांग्रेस नेताओं पर भरोसा करना मुश्किल है।
रोहित पवार ने चुनावी प्रक्रिया में धनबल के बढ़ते प्रभाव पर भी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि आज सिद्धांतों और विकास पर आधारित राजनीति लुप्त होती जा रही है और उसकी जगह पैसे से दूषित राजनीति ने ले ली है। उनके अनुसार, विरोध में चुने गए कुछ लोगों के गलत कामों और ‘धंधों’ को देखकर उन्हें सार्वजनिक रूप से उनके नाम लेने में भी शर्म आती है। यह स्थिति राजनीति के गिरते स्तर की ओर इशारा करती है।
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चुनाव परिणामों पर प्रतिक्रिया देते हुए रोहित पवार ने कहा कि हालांकि वह जनता के कर्जदार हैं क्योंकि लोगों ने उन्हें दिल खोलकर वोट दिए, लेकिन समर्पित कार्यकर्ताओं के लिए यह परिणाम निराशाजनक है। उन्होंने सवाल उठाया कि अगर राजनीति में सिर्फ पैसा ही सब कुछ होगा, तो स्वयं सहायता समूहों, किसानों और छोटे दुकानदारों जैसे आम परिवारों के उम्मीदवारों को न्याय कब मिलेगा? उन्होंने चिंता जताई कि ऐसे उपेक्षित वर्गों को मुख्यधारा में लाने की कोशिशें इन चुनावी प्रवृत्तियों के कारण बाधित हो रही हैं।






