मूकबधिर करियर (प्रतीकात्मक चित्र, सौजन्य- सोशल मीडिया)
Yavatmal News: यवतमाल जिले में विकलांगों में हमेशा कोई न कोई अनोखी और अलग शक्ति होती है। इसी कारण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें दिव्यांग कहा और आज यह शब्द सबको प्रिय लगने लगा है। इसकी झलक यवतमाल जिले में भी देखने को मिल रही है। यहां कुल 1187 विद्यार्थी मूकबधिर होते हुए भी सामान्य विद्यार्थियों की तरह पढ़ाई में प्रगति कर रहे हैं।
रविवार, 28 सितंबर को जगह-जगह मूकबधिर दिवस मनाया जा रहा है। इसी अवसर पर जिले के इन विद्यार्थियों की मेहनत को सलाम करने वाली यह कहानी सामने आई है। यवतमाल जिले में पहली से बारहवीं तक पढ़ाई कर रहे कुल 1187 विद्यार्थी मूकबधिर हैं। इनमें से 697 विद्यार्थी कर्णबधिर हैं, जबकि 490 विद्यार्थियों में वाचा दोष (बोलने में दिक्कत) है।
सुनने और बोलने में अड़चनें होते हुए भी इन विद्यार्थियों ने पढ़ाई में कभी रुकावट नहीं आने दी। जिला परिषद के समावेशित शिक्षा कक्ष की व्यवस्था के अनुसार, पिछले साल हुई परीक्षाओं में इन सभी विद्यार्थियों ने सामान्य विद्यार्थियों की तरह प्रगति दिखाई। बल्कि कुछ मूकबधिर विद्यार्थियों ने तो सामान्य बच्चों से भी बेहतर प्रदर्शन किया है। शिक्षा कक्ष की ओर से उन्हें श्रवण यंत्र, स्पीच थैरेपी जैसी सुविधाएं भी उपलब्ध कराई जा रही हैं।
कर्णबधिर – 697
वाचा दोष – 490
पहली से आठवीं – 1020
नवमी से बारहवीं – 167
लड़के – 743
लड़कियां – 444
जिले के विभिन्न विभागों में राज्य सरकार की नौकरी में कुल 50 कर्णबधिर कर्मचारी कार्यरत हैं। कर्णबधिर होने के बावजूद वे जनता की समस्याओं को समझते हैं और उत्कृष्ट काम कर रहे हैं।
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जिला परिषद के कुल छह हजार शिक्षकों में से 281 शिक्षकों ने दिव्यांग वर्ग से तबादले के लिए आवेदन किया था। जनवरी में जिला परिषद ने 258 दिव्यांग शिक्षकों की वरिष्ठता सूची जारी की थी। इनमें से लगभग सौ शिक्षकों के पास कर्णबधिर होने का प्रमाणपत्र है। अब सोमवार, 29 सितंबर को जिल परिषद में सभी दिव्यांग शिक्षकों के प्रमाणपत्रों की जांच की जाएगी। इसमे कर्णबधिर शिक्षकों की भी असली परीक्षा होगी।