
‘ऑनलाइन प्रणाली’ के लाभार्थी जांच अधिकारियों की रडार पर (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Wardha News: महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के अधिकांश कार्य अब ऑनलाइन प्रणाली के माध्यम से संचालित होते हैं। इसी प्रणाली के जरिए अकुशल व कुशल श्रमिकों के बैंक खातों में प्रत्यक्ष फंड ट्रांसफर किया जाता है। लेकिन इस पारदर्शी प्रणाली का लाभ उठाते हुए कुछ लोगों ने सरकारी निधि का बड़े पैमाने पर गबन किया है, जिसके चलते अब वे जांच अधिकारियों की रडार पर आ गए हैं। इस मामले में कई आरोपियों पर गिरफ्तारी का खतरा मंडरा रहा है।
आर्वी पंचायत समिति क्षेत्र में मनरेगा निधि के 70 लाख रुपये से अधिक के गबन का गंभीर मामला सामने आया है। “मैं भी चुप… तुम भी चुप” के अंदाज़ में यह आर्थिक अनियमितता चलती रही। इस प्रकरण में अब तक बर्खास्त सहायक परियोजना अधिकारी (APO) कसार और गट विकास अधिकारी (BDO) सुनीता मरसकोल्हे को आर्वी पुलिस गिरफ्तार कर चुकी है।
जांच में सामने आया कि ऑनलाइन प्रणाली में दक्ष मुख्य आरोपी कसार ने 9 जनवरी 2012 को आर्वी स्थित स्टेट बैंक शाखा में अपनी कंपनी के नाम पर बैंक खाता खोला और मनरेगा सॉफ्टवेयर में हेरफेर कर मजदूरों की मजदूरी राशि को विभिन्न बैंकों के खातों में ट्रांसफर किया।
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सह-आरोपी गट विकास अधिकारी सुनीता मरसकोल्हे को 3 दिन पुलिस हिरासत में रखने के बाद जमानत मिल गई। रिपोर्ट के आधार पर जिला परिषद सीईओ पराग सोमण ने विभागीय आयुक्त के माध्यम से ग्राम विकास विभाग को प्रस्ताव भेजा है। हालांकि अब तक निलंबन कार्रवाई पर कोई निर्णय सामने नहीं आया है, यह जिला परिषद सूत्रों ने बताया।






