गणेश प्रतिमा विसर्जन (सोर्स: सोशल मीडिया)
Wardha Ganeshotsav News: गणेश उत्सव की धूम पूरे देश में है, लेकिन इस पर्व को पर्यावरण के अनुकूल मनाने की मुहिम भी जोर पकड़ रही है। महाराष्ट्र अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति ने गणेश भक्तों से अपील की है कि वे अपनी गणेश मूर्तियों का विसर्जन नदियों, तालाबों और कुओं में करने के बजाय घर पर ही करें। समिति का मानना है कि पारंपरिक रूप से हमारे त्यौहार प्रकृति के साथ सामंजस्य बिठाकर मनाए जाते थे, लेकिन समय के साथ आए बदलावों ने इन्हें पर्यावरण के लिए हानिकारक बना दिया है। इस अपील का मुख्य उद्देश्य जल प्रदूषण को रोकना और जलीय जीवन की रक्षा करना है।
समिति ने बताया कि शुरुआती दिनों में गणेश मूर्तियां मिट्टी या शाडू माटी से बनाई जाती थीं, जो प्रकृति में आसानी से घुल-मिल जाती थीं। ये मूर्तियां छोटी होती थीं और इन्हें प्राकृतिक रंगों से सजाया जाता था। लेकिन अब मूर्तियों का आकार बहुत बड़ा हो गया है और इनकी संख्या भी काफी बढ़ गई है। बाजार में अब प्लास्टर ऑफ पेरिस (POP) से बनी आकर्षक मूर्तियां मिलती हैं, जिन्हें औद्योगिक रासायनिक रंगों से रंगा जाता है।
इन रंगों में पारा, सीसा और कैडमियम जैसे हानिकारक तत्व होते हैं, जो पानी में नहीं घुलते और लंबे समय तक प्रदूषण फैलाते हैं। जब इन मूर्तियों का विसर्जन जलस्रोतों में किया जाता है, तो ये हानिकारक तत्व पानी में मिल जाते हैं, जिससे जलस्रोत प्रदूषित होते हैं और जलीय वनस्पतियों तथा जीवों को नुकसान पहुंचता है।
इस समस्या से निपटने के लिए, समिति ने भक्तों को कई विकल्प सुझाए हैं। पहला और सबसे महत्वपूर्ण विकल्प है घर पर ही विसर्जन करना। भक्त बाल्टी या टब में पानी भरकर मूर्ति को विसर्जित कर सकते हैं। विसर्जन के बाद, इस पानी को पौधों में डाला जा सकता है और बची हुई मिट्टी का उपयोग नए पौधे उगाने के लिए किया जा सकता है। यह मिट्टी मूर्तिकारों को भी वापस दी जा सकती है।
यह भी पढ़ें:- एक गांव तहसील दो, चामोर्शी और मुलचेरा के फेर में चकरघिन्नी हुए गुंड़ापल्ली ग्रामीण
इसके अलावा, महाराष्ट्र अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति पिछले 18 वर्षों से पवणार और वर्धा शहर में विभिन्न स्थानों पर कृत्रिम विसर्जन कुंडों की व्यवस्था कर रही है। नगर परिषद और अन्य सामाजिक संगठन भी इस मुहिम में शामिल होकर ऐसे केंद्र स्थापित कर रहे हैं, जहां भक्त सामूहिक रूप से मूर्तियों का विसर्जन कर सकते हैं।
प्रदूषित पानी न केवल पर्यावरण को बल्कि मानव स्वास्थ्य को भी बुरी तरह प्रभावित करता है। ऐसे प्रदूषित पानी का सेवन या स्नान में उपयोग करने से आंखों, त्वचा, श्वसन और पाचन तंत्र से जुड़ी गंभीर बीमारियां हो सकती हैं। समिति ने सभी गणेश भक्तों से अपील की है कि गणेश को बुद्धि का देवता माना जाता है, इसलिए हमें विवेकपूर्ण निर्णय लेते हुए पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक कदम उठाना चाहिए। इस पहल में गजेंद्र सरकार, यशवंत झाडे, डॉ. हाशम शेख और अन्य कई सदस्यों ने सभी भक्तों से सहभागिता की गुजारिश की है।