
राहत फतेह अली खान (फोटो- सोशल मीडिया)
Rahat Fateh Ali Khan Birthday Special Story: सूफी संगीत की रूहानियत और पॉप धुनों की मिठास इन दोनों का अनोखा संगम जिस आवाज में मिलता है, वह है राहत फतेह अली खान की आवाज। उनकी गायकी में ऐसा जादू है कि हर उम्र, हर देश और हर भाषा का श्रोता उनके सुरों में खो जाता है। पारंपरिक कव्वाली से लेकर बॉलीवुड के रोमांटिक गीतों तक, राहत ने हर शैली में अपनी एक अलग पहचान कायम की है।
9 दिसंबर 1974 को पाकिस्तान के फैसलाबाद में जन्मे राहत फतेह अली खान एक ऐसे परिवार से आते हैं, जिसकी संगीत विरासत पूरी दुनिया में मशहूर है। उनके पिता फर्रुख फतेह अली खान, दादा फतेह अली खान और विशेष रूप से चाचा नुसरत फतेह अली खान सूफी संगीत के दिग्गज नाम रहे हैं। बचपन से ही संगीत उनके जीवन का हिस्सा रहा सिर्फ तीन साल की उम्र में वह मंच पर नजर आने लगे।
सात साल की उम्र से उन्होंने चाचा नुसरत फतेह अली खान से बाकायदा प्रशिक्षण शुरू किया और नौ साल में अपने दादा की पुण्यतिथि पर पहली सार्वजनिक प्रस्तुति दी। 15 वर्ष की उम्र तक वह नुसरत साहब के मशहूर कव्वाली समूह में शामिल हो चुके थे। 1995 में उन्होंने हॉलीवुड फिल्म डेड मैन वॉकिंग के साउंडट्रैक में काम किया, जिसने उनकी अंतरराष्ट्रीय यात्रा की नींव रखी।
2003 में राहत ने बॉलीवुड में कदम रखा। फिल्म पाप का गीत ‘लागी तुझसे मन की लगन’ सुपरहिट हुआ और इसके बाद तो राहत के सुरों ने बॉलीवुड पर राज कर लिया। ओ रे पिया, तेरे मस्त मस्त दो नैन, आज दिन चढ़ेया, सजदा, आफरीन-आफरीन जैसे गानों ने उन्हें हर घर का पसंदीदा बना दिया। उनकी आवाज में जहां क्लासिकल संगीत की गहराई है, वहीं आधुनिक संगीत का फ्लेवर भी साफ झलकता है, यही उनकी सबसे बड़ी ताकत है।
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संगीत के क्षेत्र में उनके योगदान को कई सम्मान मिले हैं। उन्होंने फिल्मफेयर, आईफा, लक्स स्टाइल अवार्ड्स और यूके एशियन म्यूजिक अवार्ड्स में न सिर्फ नामांकन बल्कि कई पुरस्कार जीते। 2019 में ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने उन्हें डॉक्टरेट ऑफ म्यूजिक की मानद उपाधि देकर सम्मानित किया। अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी राहत का जलवा कायम है। उन्होंने वेम्बली, मैनचेस्टर एरिना और दुनिया के बड़े-बड़े कॉन्सर्ट वेन्यू में लाइव परफॉर्म कर वहां भी दर्शकों का दिल जीता।






