कॉन्सेप्ट फोटो (नवभारत)
गोंदिया: गाेंदिया जिले के अर्जुनी मोरगांव तहसील के रामपुरी, अर्जुनी मोरगांव, खांबी और शिरेगांव इन चार क्षेत्रीय जलापूर्ति योजनाओं का अनुदान बंद कर दिया गया है। जिससे 1 अप्रैल 2025 से इन योजनाओं को बंद करने का निर्णय लिया गया है। पिछले 12 वर्षों से इन योजनाओं के माध्यम से 65 गांवों को पीने का पानी उपलब्ध कराया जा रहा था। योजना संचालकों का कहना है कि सरकार द्वारा अनुदान न मिलने के कारण ये योजनाएं गंभीर वित्तीय संकट में आ गई हैं और इन्हें जारी रखना संभव नहीं है।
इन जलापूर्ति योजनाओं का बढ़ता खर्च एक गंभीर समस्या बन गई है। श्रमिकों का वेतन, रसायनों की लागत, बिजली बिल और रखरखाव का खर्च तेजी से बढ़ रहा है। सरकार ने 1 अप्रैल 2019 से इन योजनाओं का अनुदान बंद कर दिया था। जिससे ये योजनाएं हर साल 4 से 5 लाख रुपए के घाटे में जा रही हैं।
जिला परिषद ने बार-बार सरकार से अनुदान की मांग की, लेकिन अब तक कोई सहायता नहीं मिली। इसलिए, योजना संचालकों ने जलापूर्ति बंद करने का निर्णय लिया है।
16 मार्च को नवेगांवबांध स्थित ग्रीन पार्क होटल में इस मुद्दे पर एक सभा आयोजित की गई। इसमें चारों योजनाओं से जुड़े गांवों के सरपंच, संस्था के संचालक और कर्मचारी बड़ी संख्या में उपस्थित थे। इस बैठक में सर्वसम्मति से यह प्रस्ताव पारित किया गया कि यदि सरकार 1 अप्रैल 2025 से पहले अनुदान मंजूर नहीं करती, तो जलापूर्ति योजनाओं को बंद कर दिया जाएगा।
इस निर्णय के कारण 65 गांवों के नागरिकों में भारी चिंता व्याप्त है। जलापूर्ति बंद होने से आगामी गर्मियों में गंभीर जलसंकट उत्पन्न हो सकता है। ग्रामीणों का कहना है कि यदि सरकार ने तत्काल ध्यान नहीं दिया और अनुदान मंजूर नहीं किया, तो उन्हें पीने के पानी की भारी किल्लत का सामना करना पड़ेगा।
गर्मियों के मौसम में जलस्तर पहले ही काफी गिर जाता है। जिससे कई गांवों में जलसंकट उत्पन्न हो जाता है। ऐसे में यदि जलापूर्ति योजनाएं बंद हो जाती हैं, तो हजारों ग्रामीणों को पीने के पानी के लिए दर-दर भटकना पड़ेगा। जलस्रोतों के सूखने से स्थिति और भी गंभीर हो सकती है।
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पानी की कमी के कारण ग्रामीणों को टैंकरों पर निर्भर रहना पड़ेगा, जिससे आर्थिक बोझ भी बढ़ेगा। इसलिए, ग्रामीणों ने सरकार से अपील की है कि वह जल्द से जल्द इस गंभीर मुद्दे पर ध्यान दे और जलापूर्ति योजनाओं के लिए अनुदान प्रदान करे, ताकि भीषण गर्मी के दौरान जल संकट से बचा जा सके।