56वीं जीएसटी परिषद की बैठक के दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, (सोर्स- सोशल मीडिया)
GST Reform Impact on GDP: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता और मंत्रियों की समूह की मौजूदगी में हुई 56वीं जीएसटी काउंसिल की बैठक में जीएसटी 2.0 की मंजूरी मिल गई है। यह सुधार 22 सितंबर से लागू होंगे।अर्थशास्त्रियों का मानना है कि जीएसटी रेट में कटौती से भारत की जीडीपी ग्रोथ में 60 आधार अंकों (bps) तक की वृद्धि होगी और पूरे साल में महंगाई में लगभग 100 आधार अंकों की कमी आएगी।
जीएसटी परिषद की बैठक के बाद पत्रकारों से बातचीत में वित्त मंत्री ने कहा था कि 22 सितंबर से लागू होने वाली इनडायरेक्ट टैक्स रेट में कटौती का असर कुछ महीनों बाद ही पता चल पाएगा। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि जीडीपी पर इसका असर काफी सकारात्मक होगा और अर्थशास्त्री भी इस बात को मान रहे हैं।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट की मुताबिक, आईडीएफसी फर्स्ट बैंक की मुख्य अर्थशास्त्री गौरा सेन गुप्ता ने कहा कि जीएसटी रेट में कटौती से भारत की जीडीपी ग्रोथ रेट 12 महीनों में 60 बीपीएस तक बढ़ जाएगी, जिससे मार्च 2026 में समाप्त होने वाले चालू वित्त वर्ष के लिए 6.6 प्रतिशत के अपने विकास पूर्वानुमान को बनाए रख सकेगी। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यह भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के 6.5 प्रतिशत के अनुमान से अधिक है और इसमें 27 अगस्त से अमेरिका द्वारा भारतीय वस्तुओं पर लगाए गए 50 प्रतिशत टैरिफ के नकारात्मक प्रभाव को ध्यान में रखा गया है।
भारतीय इकोनॉमी ने वित्त वर्ष 2025-26 की शुरुआत पहले ही किसी भी अनुमान से कहीं बेहतर की है, अप्रैल-जून में जीडीपी ग्रोथ रेट 5 तिमाहियों के हाई लेवल 7.8 प्रतिशत पर पहुंच गई है। बुधवार को जीएसटी दरों में की गई कटौती से निजी खपत में वृद्धि की उम्मीद है, जो अप्रैल-जून में 7 प्रतिशत बढ़ी थी। हालांकि, यह एक साल पहले की 8.3 प्रतिशत वृद्धि दर से कम थी, लेकिन जनवरी-मार्च की 6 प्रतिशत वृद्धि दर से ज़्यादा थी। आरबीआई को उम्मीद है कि चालू वित्त वर्ष में जीडीपी ग्रोथ रेट 6.5 प्रतिशत रहेगी।
जीएसटी रेट में कटौती से तत्काल प्रभाव कीमतों में कमी के रूप में होगा, जिससे परिवारों द्वारा खरीदारी में तेज़ी आएगी। अर्थशास्त्रियों का मानना है कि अगर कंपनियां टैक्स बेनिफिट का पूरा फायदा कंज्यूमर्स तक पहुंचाएं, तो देश के खुदरा महंगाई रेट में 100 बेसिस प्वाइंट या उससे भी अधिक की कमी आ सकती है। उदाहरण के लिए, आईसीआईसीआई बैंक का मानना है कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) महंगाई पर इसका ग्रॉस प्रभाव 110-120 आधार अंक रहेगा।
ये भी पढ़ें: US-Japan Trade: भारत से खिंचतान के बीच अमेरिका का जापान से ट्रेड समझौता, सिर्फ 15% होगी टैरिफ
हालांकि, अनुभूति सहाय के नेतृत्व में स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक के अर्थशास्त्री अधिक सतर्क हैं, उनका अनुमान है कि महंगाई में वार्षिक आधार पर 60 आधार अंकों तक की कमी आएगी, जिसका आंशिक असर उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित महंगाई पर पड़ेगा, जिसके परिणामस्वरूप इस वित्त वर्ष में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) महंगाई 20-25 आधार अंकों तक कम रहेगी, क्योंकि जीएसटी रेट कटौती 22 सितंबर से ही लागू होगी।