
बंबई उच्च न्यायालय (सोर्स: सोशल मीडिया)
Thane News In Hindi: खिलाफ क्या कार्रवाई की गई, इसकी कोई जानकारी नहीं दी गई है। हाई कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि मनपा और सरकार की यह कार्रवाई कोर्ट के आदेशों का मजाक है।
साथ ही यह भी पूछा कि इस मामले में 2015 के बाद के पूर्व मनपा आयुक्तों और अधिकारियों के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई क्यों न की जाए, चारागाह और जंगल की जमीन पर सैकड़ों अवैध कंस्ट्रक्शन किए गए हैं और राज्य सरकार ने हाल ही में इस जगह पर झुग्गी-झोपड़ी में रहने वालों के पुनर्वास के लिए एक ग्रुप डेवलपमेंट स्कीम लागू करने का फैसला किया है।
सरकार ने इस बारे में एक नोटिफिकेशन भी जारी किया है। जस्टिस रेवती मोहिते-डेरे और जस्टिस संदेश पाटिल की बेंच ने भी इस बारे में सवाल उठाए। सुप्रीम कोर्ट ने किसी भी कंस्ट्रक्शन के लिए चरागाह या जंगल की जमीन के इस्तेमाल पर रोक लगा दी है। ऐसे में इस जमीन पर गैरकानूनी कंस्ट्रक्शन करने वालों के पुनर्वास के लिए ग्रुप डेवलपमेंट स्कीम कैसे लागू की जा सकती है और सरकार इस बारे में नोटिफिकेशन कैसे जारी कर सकती है?
कोर्ट ने गुस्से में सवाल भी पूछा और घटना पर नाराजगी भी जताई। कोर्ट ने यह भी साफ़ किया कि यह स्कीम पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन के आखिरी नतीजे के अधीन होगी। इस बारे में अधिकारियों को नोटिस जारी करने के लिए अंतरिम आदेश जारी करने पर भी फैसला सुरक्षित रख लिया।
कोर्ट ने कहा है कि भविष्य में इस नोटिफिकेशन को गैर-कानूनी घोषित कर दिया गया तो क्या होगा ? देखते हैं आप कितना कन्फ्यूजन और मुश्किल पैदा कर रहे हैं?
कोर्ट ने मनपा प्रशासन समेत अधिकारियों को यह भी बताया कि गैर-कानूनी कंस्ट्रक्शन के लिए जिम्मेदार और उनके खिलाफ कार्रवाई न करने वाले अधिकारियों को उन घर मालिकों को हर्जाना देना होगा। जिन्होंने घर खरीदने में अपनी मेहनत की कमाई लगाई है।
कोर्ट ने 2015 के आदेश देते हुए कहा है कि अधिकारियों के खिलाफ कंटेम्प्ट की कार्रवाई क्यों नहीं शुरू करते? कोर्ट ने उपायुक्त के हलफनामे पर भी नाराजगी जताई। हलफनामे में पिछले आदेशों के पालन का कोई जिक्र नहीं है। ऐसे में नए सर्वे की मांग कैसे की जा सकती है? कोर्ट ने सवाल किया और कहा कि आप कोर्ट को धोखा दे रहे हैं।
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