नवी मुंबई एयरपोर्ट पक्षी-विमान सुरक्षा (pic credit; social media)
Navi Mumbai International Airport: नवी मुंबई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे (एनएमआईए) के निर्माण और संचालन को लेकर लंबे समय से उठ रहे पर्यावरणीय सवालों के बीच एयरपोर्ट अथॉरिटी ने बड़ा ऐलान किया है। अधिकारियों ने कहा है कि विमान और पक्षियों दोनों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एकीकृत वन्यजीव जोखिम प्रबंधन योजना लागू की जाएगी। साथ ही आर्द्रभूमियों और जैव विविधता को बचाने की प्रतिबद्धता भी जताई गई है।
चॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी (बीएनएचएस) के अध्ययनों का हवाला देते हुए एयरपोर्ट अथॉरिटी ने अंतर्राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन (आईसीएओ) को सूचित किया है कि अधिकांश प्रवासी और स्थानीय पक्षी विमान के उड़ान पथ से काफी नीचे उड़ते हैं। ऐसे में टकराव का खतरा सीमित है। फिर भी सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए विस्तृत वन्यजीव खतरा प्रबंधन कार्यक्रम तैयार किया गया है।
इस पहल की सराहना करते हुए नेट कनेक्ट फाउंडेशन ने उम्मीद जताई कि एयरपोर्ट अथॉरिटी अपने वादों पर कायम रहेगी और नवी मुंबई की प्रमुख आर्द्रभूमियों का संरक्षण करेगी। फाउंडेशन के निदेशक बी.एन. कुमार ने सरकार से मांग की है कि डीपीएस फ्लेमिंगो झील को संरक्षण रिजर्व घोषित करने का आदेश जल्द जारी किया जाए। उन्होंने कहा कि भारतीय वन्यजीव संस्थान और राज्य वन विभाग पहले ही इस फैसले का समर्थन कर चुके हैं।
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नवी मुंबई की आर्द्रभूमियां प्रवासी और देशी पक्षियों का महत्वपूर्ण ठिकाना हैं। सर्दियों में यहां एशिया और यूरोप से बड़ी संख्या में पक्षी आते हैं जिनमें फ्लेमिंगो, कतारा, गैडवॉल, प्लोवर और कई शिकारी प्रजातियां शामिल हैं। कुछ पक्षी तो यहां प्रजनन के लिए भी प्रवास करते हैं।
एयरपोर्ट अथॉरिटी ने बताया कि आईसीएओ के मानकों के तहत सक्रिय और निष्क्रिय दोनों तरह की विधियां अपनाई जा रही हैं। हवाई अड्डे के अंदर और आसपास 13 किलोमीटर के दायरे में सर्वेक्षण करने के लिए स्वॉर्ड गार्ड इंडिया नामक एजेंसी को भी नियुक्त किया गया है।
बीएनएचएस की रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि पक्षियों की स्थानीय आवाजाही सामान्यतः 50 मीटर से नीचे तक सीमित रहती है। ऐसे में विमानन संचालन पर गंभीर असर की आशंका नहीं है, लेकिन आर्द्रभूमियों के संरक्षण के बिना यह संतुलन संभव नहीं होगा।
इस घोषणा ने स्थानीय पर्यावरणविदों को राहत दी है, लेकिन वे चाहते हैं कि सरकार जल्द से जल्द डीपीएस फ्लेमिंगो झील और अन्य आर्द्रभूमियों को कानूनी सुरक्षा देकर इस क्षेत्र की पारिस्थितिकी को बचाए।