सिंधुदुर्ग में 2 एसटी बसों की जोरदार भिड़ंत (सौजन्यः सोशल मीडिया)
सिंधुदुर्ग: सिंधुदुर्ग जिले में सोमवार की सुबह एक दर्दनाक हादसे ने हर किसी को झकझोर कर रख दिया। 2 राज्य परिवहन बसें आमने-सामने टकरा गईं। स्कूली छात्रों, बुजुर्गों और महिलाओं समेत 19 यात्री घायल हो गए। इस भयानक हादसे ने पूरे इलाके में अफरा-तफरी मचा दी। सोमवार सुबह लगभग 7 बजे सिंधुदुर्ग जिले के बांदा-दोडामार्ग राजमार्ग पर पानवल गांव के पास एक भयानक सड़क दुर्घटना घटी। 2 राज्य परिवहन की बसें आमने-सामने से भीषण रफ्तार में टकरा गईं।
हादसा इतना खौफनाक था कि दोनों बसों के अगले हिस्से पूरी तरह चकनाचूर हो गए। यात्रियों की चीख-पुकार गूंज उठी। कई लोग सीटों में फंस गए। स्कूली छात्र बुजुर्ग और महिलाएं तक खून से लथपथ हालत में तड़पते दिखे। घटनास्थल से मिली जानकारी के मुताबिक फुकेरी से बांदा जा रही बस जब पानवल पहुंची तो सामने से उस्मानाबाद-पणजी बस तेज रफ्तार से आई और सीधी टक्कर मार दी।
प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया “टक्कर इतनी जबरदस्त थी कि चालक ने ब्रेक लगाने की पूरी कोशिश की, लेकिन रफ्तार के चलते फुकेरी बस को करीब 100 फीट तक घसीटते हुए ले गया।” इस दौरान बस में बैठे छात्र और बुजुर्ग डर और दर्द से कराह उठे। लोग चीखने लगे। स्थानीय ग्रामीण तुरंत मदद के लिए दौड़े और खून से लथपथ घायलों को बस से बाहर निकालने में जुट गए।
इस हादसे में करीब 19 से 22 लोग घायल हुए हैं। इनमें स्कूली कॉलेज के छात्र भी हैं। बुजुर्ग और महिलाएं भी गंभीर रूप से घायल हो गईं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार घायलों में अनिल कदम (48 वर्ष), बाळासाहेब कुंभार (99 वर्ष), अर्चना हिंगणेकर (50 वर्ष), ज्ञानेश्वर गवस (60 वर्ष), पुनाजी आईर (25 वर्ष), इंदुमती और सुरेखा आईर (50 वर्ष), प्रकाश राऊत (60 वर्ष), रमेश और रेश्मा आईर, रामचंद्र गवस (72 वर्ष), भक्ती देसाई, तृप्ति देसाई, माधुरी देसाई, यशवंत आदर (75 वर्ष), विमल घोगले (53 वर्ष), लक्ष्मी कुंभार (60 वर्ष) और उर्मिला कुंभार शामिल हैं।
अस्पताल के डॉक्टरों ने बताया कि “अधिकांश यात्रियों की हालत अब स्थिर है। कई को प्राथमिक उपचार के बाद छुट्टी दे दी गई जबकि कुछ को सावंतवाड़ी के अस्पताल में भर्ती कराया गया।”
घटना की सूचना मिलते ही बांदा पुलिस और एसटी महामंडल के वरिष्ठ अधिकारी घटनास्थल पर पहुंचे। पुलिस ने स्थानीय लोगों की मदद से बस में फंसे घायलों को बाहर निकाला और उन्हें प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र तक पहुंचाया। एसटी विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने घायलों का हालचाल पूछा और आर्थिक सहायता का भरोसा दिलाया।
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भीषण टक्कर के बाद दोनों बसें सड़क के बीच में फंस गईं, जिससे राजमार्ग के दोनों ओर लंबा जाम लग गया। सैकड़ों यात्री, स्कूली बच्चे और बाजार जाने वाले लोग बीच रास्ते में फंसे रहे। स्थानीय लोगों ने तुरंत मोर्चा संभाला। उन्होंने सड़क किनारे पत्थर डालकर दोपहिया और पैदल यात्रियों के लिए रास्ता बनाया। करीब दो घंटे बाद क्रेन की मदद से एक बस को किनारे किया गया और यातायात धीरे-धीरे सामान्य हुआ।
इस भयावह हादसे में सबसे बड़ी राहत की बात यह रही कि किसी की जान नहीं गई। पुलिस अधिकारियों ने कहा “यह सचमुच भगवान की कृपा है कि इतनी भीषण टक्कर के बावजूद कोई भी यात्री अपनी जान नहीं गंवा सका।” डॉक्टरों ने भी बताया कि “सभी घायल खतरे से बाहर हैं और उनकी स्थिति पर लगातार नजर रखी जा रही है।”
यह हादसा एक बार फिर हमारे सामने बड़ा सवाल खड़ा करता है। क्या तेज रफ्तार और लापरवाही ने हमारी सड़कों को मौत का जाल बना दिया है?
स्थानीय लोग कहते हैं “ड्राइवरों को चाहिए कि रफ्तार पर नियंत्रण रखें। यात्रियों की सुरक्षा से खिलवाड़ नहीं होना चाहिए। प्रशासन को भी सख्ती से नियम लागू कराने चाहिए।” यह हादसा एक सबक है यात्रियों की सुरक्षा केवल सरकार की नहीं, हम सभी की साझा जिम्मेदारी है। हमें नियमों का पालन कर दूसरों की और अपनी जान की हिफाजत करनी चाहिए।