
सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय (सोर्स: सोशल मीडिया)
SPPU Foreign Students Admission: शैक्षणिक वर्ष 2025-26 के लिए सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय (SPPU) के पाठ्यक्रमों में प्रवेश लेने वाले विदेशी छात्रों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है। इस वर्ष 69 देशों के 270 छात्रों ने SPPU को चुना है और विभिन्न पाठ्यक्रमों में अपना प्रवेश सुनिश्चित किया है।
जहां एक ओर भारत से विदेशों में पढ़ने जाने वाले छात्रों की संख्या पर अक्सर चर्चा होती है, वहीं ये आंकड़े दर्शाते हैं कि विदेशी छात्र भी भारत के शैक्षणिक संस्थानों और विश्वविद्यालयों को प्राथमिकता दे रहे हैं।
सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय में विदेशी छात्रों की प्रवेश प्रक्रिया अंतर्राष्ट्रीय छात्र केंद्र (ISC) द्वारा संचालित की जाती है। छात्र पारंपरिक पाठ्यक्रमों जैसे स्नातक, स्नातकोत्तर और पीएचडी कार्यक्रमों में प्रवेश लेते हैं।
पिछले चार वर्षों के आंकड़ों की समीक्षा करने पर पता चलता है कि इस वर्ष सबसे अधिक प्रवेश हुए हैं। इसमें वर्ष 2022 23 में 64 देशों से 262 छात्र, 2023 24 में 64 देशों से 194 छात्र, 2024-25 में 69 देशों से 210 छात्र और इस वर्ष 69 देशों से 270 छात्रों ने प्रवेश लिया है। जो पिछले चार शैक्षणिक वर्षों में सर्वाधिक है। प्रवेश लेने वाले छात्रों में मुख्य रूप से बांग्लादेश, श्रीलंका, नेपाल, उज्बेकिस्तान और अफ्रीका के सूडान जैसे देशों के छात्र शामिल हैं।
हालांकि, व्यावसायिक पाठ्यक्रमों के लिए 2015-16 में प्रवेश तकनीकी शिक्षा निदेशालय (DTE) के माध्यम से करने के निर्णय के बाद विदेशी छात्रों की संख्या में कमी आई थी। अंतरराष्ट्रीय छात्र केंद्र के संचालक डॉ. विजय खरे ने बताया कि यदि विश्वविद्यालयों को अपने स्तर पर ही अंतर्राष्ट्रीय छात्रों के प्रवेश की अनुमति दी जाए तो इस संख्या में और वृद्धि हो सकती है।
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अंतर्राष्ट्रीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (ICCR) छात्रवृत्ति के तहत भी कई छात्र शिक्षा के लिए विश्वविद्यालय आते हैं और विश्वविद्यालय द्वारा प्रवेश प्रक्रिया को सरल बनाने पर जोर दिया जा रहा है।
अफगानिस्तान, ईरान और सीरिया जैसे देशों से छात्रों की संख्या घटी, जिसका मुख्य कारण इन देशों में सामाजिक-राजनीतिक अस्थिरता और विशेष योजनाओं का बंद होना है। डॉ. विजय खरे ने स्पष्ट किया कि 2021 में अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता में आने के बाद वहां के छात्रों का आना बंद हो गया है।
इसके अलावा, ‘एजुकेशन फॉर ऑयल’ योजना बंद होने से ईरान से और मध्य एशियाई क्षेत्रों में युद्ध जैसी स्थिति के कारण सीरिया जैसे देशों से भी आने वाले छात्रों की संख्या में कमी आई है।






