उच्च शिक्षा मंत्री चंद्रकात पाटिल (सौ. सोशल मीडिया )
Pune University: सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय के 126वें दीक्षांत समारोह में राज्य के उच्च एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री चंद्रकांत पाटिल ने कहा कि सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय की रैंकिंग वैश्विक स्तर पर बढ़ी है, लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर कम हुई है।
दोनों के मूल्यांकन मानदंड अलग-अलग हैं। हम भी जानते हैं कि हमारी क्या कमी है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय को 111 प्राध्यापकों की भर्ती को मंजूरी दिए डेढ़ साल हो गए हैं। लेकिन नियमों में कुछ खामियां रही हैं, इन सबका समाधान करने के बाद, एक महीने के भीतर प्राध्यापकों की भर्ती का काम पूरा कर लिया जाएगा।
समन्वय से समस्याओं का होना चाहिए समाधान दीक्षांत समारोह में राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं मान्यता परिषद की कार्यकारी समिति के अध्यक्ष डॉ। अनिल सहस्रबुद्धे, विश्वविद्यालय के कुलगुरु डॉ सुरेश गोसावी, प्र-कुलगुरु डॉ पराग कालकर, प्रभारी कुलसचिव डॉ। ज्योति भाकरे और परीक्षा एवं मूल्यांकन मंडल के प्रभारी संचालक डॉ। प्रभाकर देसाई उपस्थित थे। इस कार्यक्रम में डिग्री और प्रमाणपत्र प्रदान किए गए।
पाटिल ने कहा कि क्या राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग क्रमवर्क। एनआईआरएफ) की रैंकिंग के लिए सिर्फ वहीं एक मानदंड होता है? विश्वविद्यालयों की रैंकिंग को लेकर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस भी चिंतित है। उन्होंने कहा कि इस मूल्यांकन में अलग-अलग 20 मानदड है।
उनमें से एक विश्वविद्यालय के बारे में ‘धारणा है। मैं भी छात्र आंदोलन से आया हूं। मैं छात्रों, मुद्दों और आंदोलनों के खिलाफ नहीं हूं, लेकिन आंदोलनों का स्वरूप कैसा हो, क्या समन्वय से समस्याओं का समाधान किया जा सकता है, इस बारे में विश्वविद्यालय को भी प्रयास करना चाहिए।
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उच्च शिक्षा मंत्री चंद्रकात पाटिल ने कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज के समय कभी आआंदोलन हुए ही नहीं। इसका कारण यह था कि उन्हें पहले से ही पता चल जाता था कि जनता को क्या चाहिए, इसलिए विश्वविद्यालय को भी यह समझना चाहिए, सोशल मीडिया के माध्यम से देश भर में और दुनिया भर में क्या संदेश जाता है, इस पर भी विचार करना चाहिए, अगर इस विश्वविद्यालय में लगातार आंदोलन ही होते रहेंगे, तो देश के छात्र यहां क्यों आएंगे? जनता को भी पता होना चाहिए कि किसी मुद्दे पर कितना आक्रामक होना चाहिए, पाटिल ने सलाह दी कि प्रदर्शनकारियों का प्रतिनिधिमंडल विश्वविद्यालय आकर संबंधित पक्षों से एक-दो बार चर्चा करें, फिर भी, अगर कोई रास्ता नहीं निकलता, तो हम भी तैयार है।।