पुणे पोर्शे कार एक्सीडेंट (फाइल फोटो)
पुणे. पुणे की एक अदालत ने पोर्शे कार एक्सीडेंट मामले में ब्लड सैंपल बदलने के सिलसिले में नाबालिग चालक के माता-पिता समेत छह लोगों के जमानत आवेदनों को गुरुवार को खारिज कर दिया। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश यू एम मुधोलकर ने 17 वर्षीय किशोर के पिता विशाल अग्रवाल और माता शिवानी अग्रवाल, ससून जनरल अस्पताल के चिकित्सकों– डॉ. अजय तावडे और डॉ. श्रीहरि हल्नोर तथा कथित बिचौलियों– अश्पक मकानदार और अमर गायकवाड़ को जमानत देने से इनकार कर दिया।
आरोप है कि 19 मई को तड़के नाबालिग चालक ने अपनी कार से एक मोटरसाइकिल में टक्कर मार दी थी, जिससे दो आईटी पेशेवरों की मौत हो गयी थी। नाबालिग के माता-पिता एवं अन्य ने यह साबित करने के लिए रक्त नमूने बदलने की साजिश रची थी कि वह कार चलाते समय नशे में नहीं था।
यह भी पढ़ें: पुणे पोर्शे कार एक्सीडेंट: हाई कोर्ट ने पुलिस ने पूछा- नाबालिग को ‘कैद’ में किस आधार पर रखा गया?
अभियोजन पक्ष ने दलील दी कि यदि जमानत दी गयी तो आरोपी गवाहों पर दबाव डाल सकते हैं और सबूतों के साथ छेड़छाड़ कर सकते हैं। वरिष्ठ सरकारी वकील शिशिर हिरय ने कहा कि उनका मुख्य तर्क यह था कि आरोपियों ने सबूतों के साथ छेड़छाड़ करके न्यायिक प्रणाली के साथ खिलवाड़ किया।
बता दें कि पुणे पुलिस ने हाल ही में सात आरोपियों के खिलाफ 900 पन्नों की चार्ज शीट दायर की थी।
यह भी पढ़ें: पोर्श हादसे के समय कार में किशोर चालक के अलावा दो नहीं, तीन नाबालिग थे, पुलिस ने किया बड़ा खुलासा
गौरतलब है कि 19 मई की रात करीब 2:30 बजे 17 वर्षीय नाबालिग ने अपनी एक तेज रफ्तार पोर्शे कार से मोटरसाइकिल सवार दो सॉफ्टवेयर इंजीनियर को जोरदार टक्कर मार दी, जिससे दोनों की मौत हो गई। पुलिस ने दावा किया है कि यह नाबालिग नशे की हालत में कार चला रहा था। एक्सीडेंट के बाद जेजेबी ने नाबालिग को 15 घंटे के भीतर ही जमानत दे दी। जेजेबी ने नाबालिग को दुर्घटना पर 300 शब्दों का निबंध लिखने सहित बहुत ही मामूली शर्तों पर जमानत दे दी थी। जिसके चलते देश भर में हंगामा हुआ था। (एजेंसी इनपुट के साथ)