क्षतिग्रस्त कार (सोर्स: सोशल मीडिया)
पुणे: पुणे पोर्श कार दुर्घटना मामले में एक विशेष अदालत ने बुधवार को पुलिस की उस याचिका को स्वीकार कर लिया, जिसमें इस मामले में जेल में बंद सभी 10 आरोपियों से पूछताछ करने की अनुमति मांगी थी। इन आरोपियों में उस किशोर के माता-पिता भी शामिल हैं, जो उस लग्जरी कार को चला रहा था।
पुलिस का दावा है कि 19 मई की सुबह शराब के नशे में कार चला रहे लड़के ने एक दोपहिया वाहन को टक्कर मार दी थी, जिससे दो आईटी पेशेवरों की मौत हो गई थी। अन्य आरोपियों में महाराष्ट्र सरकार द्वारा संचालित ससून जनरल अस्पताल के दो चिकित्सक और एक कर्मचारी तथा दो बिचौलिए शामिल हैं। इन सभी को दुर्घटना के बाद किशोर के रक्त के नमूनों की कथित अदला-बदली के संबंध में गिरफ्तार किया गया है।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश यू एम मुधोलकर ने पुलिस को यरवदा केंद्रीय कारागार में आरोपियों से पूछताछ करने की अनुमति दे दी, जहां वे इस समय न्यायिक हिरासत में बंद हैं।
अभियोजन पक्ष की दलील थी कि सभी 10 आरोपियों नाबालिग के माता-पिता, ससून अस्पताल के दो चिकित्सकों अजय तावरे, डॉ. श्रीहरि हल्नोर, अस्पताल के कर्मचारी अतुल घटकांबले, दो बिचौलियों अशपाक मकंदर तथा अमर गायकवाड़ और तीन अन्य लोगों आदित्य अविनाश सूद, आशीष मित्तल और अरुण कुमार सिंह से पूछताछ की जाए। सूद और सिंह दो नाबालिगों के पिता हैं जो दुर्घटना के समय कार में किशोर चालक के साथ थे और जिनके रक्त के नमूने भी बदले गए थे।
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मामले के जांच अधिकारी सहायक पुलिस आयुक्त गणेश इंगले ने कहा कि कोर्ट के सामने एक याचिका दायर कर पुलिस को सभी 10 आरोपियों से पूछताछ करने की अनुमति मांगी गई थी। पुलिस अधिकारी ने कहा कि वित्तीय लेनदेन के अलावा मामले में कुछ नए सुराग भी हैं जिनकी जांच की जानी चाहिए।
जांच अधिकारी गणेश इंगले ने कहा कि “क्योंकि तीन आरोपियों सूद, मित्तल और सिंह को जांच के बाद के चरण में गिरफ्तार किया गया था, इसलिए वित्तीय लेनदेन के संबंध में सभी आरोपियों से आमने-सामने पूछताछ की आवश्यकता है और यह पता लगाना था कि क्या तीनों ने मामले में अन्य आरोपियों को किसी प्रकार का प्रलोभन दिया था।”
(एजेंसी इनपुट के साथ)