'जनक' की देखभाल दादी स्वाती कस्पटे के हाथ। (सौजन्यः सोशल मीडिया)
पुणे: दहेज उत्पीड़न से मानसिक दबाव झेलती हुई वैष्णवी हगवणे ने आत्महत्या कर अपनी जान दे दी। इस दुखद घटना के बाद उनका 9 महीने का पुत्र अनाथ हो गया है, जिसकी देखभाल की जिम्मेदारी अब राज्य सरकार और बाल कल्याण समिति ने तय कर दी है। वैष्णवी के इस छोटे बच्चे जनक की देखभाल उनकी दादी, स्वाती आनंद कस्पटे को सौंपी गई है। यह निर्णय बाल कल्याण समिति ने लिया है, जिसके बारे में महिला एवं बाल कल्याण मंत्री आदिती तटकरे ने एक्स पोस्ट के माध्यम से जानकारी दी है।
मंत्री आदिती तटकरे ने बताया, “पुणे में वैष्णवी हगवणे के निधन के बाद उनके 9 महीने के बेटे की देखभाल के लिए बाल कल्याण समिति ने उसकी दादी स्वाती आनंद कस्पटे को ‘उचित व्यक्ति’ के रूप में नियुक्त किया है। सामाजिक जांच रिपोर्ट के अनुसार, वह बच्चे के विकास के लिए एक सकारात्मक, सुरक्षित और प्रेमपूर्ण वातावरण प्रदान कर सकती हैं।”
उन्होंने आगे कहा, “अब वैष्णवी हगवणे के बेटे की कानूनी अभिभावक स्वाती आनंद कस्पटे होंगे, जो बच्चे की शिक्षा, स्वास्थ्य और समग्र विकास की पूरी जिम्मेदारी संभालेंगी। सरकार इस बच्चे के भविष्य के प्रति पूरी तरह से प्रतिबद्ध है और उसकी भलाई सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक हर संभव सहायता प्रदान करेगी।”
वैष्णवी हगवणे की मौत के बाद यह मामला पूरे राज्य में दहेज उत्पीड़न के खिलाफ एक गंभीर चेतावनी के रूप में देखा जा रहा है। उनके बेटे के भविष्य को सुरक्षित बनाने के लिए प्रशासन की यह पहल महत्वपूर्ण मानी जा रही है। बाल कल्याण समिति इस बात की भी निगरानी करेगी कि बच्चे को उचित पालन-पोषण मिले और वह एक स्वस्थ वातावरण में बड़ा हो।
पुण्यातील स्व. वैष्णवी हगवणे यांच्या मृत्यूपश्चात त्यांचा 9 महिन्यांचा मुलगा जनक हगवणे याचा सांभाळ करण्यासाठी बाल कल्याण समितीने त्याच्या आजी व स्व. वैष्णवी हगवणे यांच्या आई श्रीमती स्वाती आनंद कस्पटे यांना योग्य व्यक्ती ( Fit Person) म्हणून नियुक्त केले आहे. याबाबत जिल्हा बाल…
— Aditi S Tatkare (@iAditiTatkare) May 30, 2025
यह निर्णय परिवार और समाज दोनों के लिए एक उम्मीद की किरण है कि पीड़ित परिवारों के बच्चों का भविष्य सुरक्षित रखा जाएगा और वे सही देखभाल और संरक्षण प्राप्त कर सकेंगे। सरकार और संबंधित विभाग बच्चों के अधिकारों और कल्याण के लिए लगातार काम कर रहे हैं ताकि ऐसी दुखद घटनाओं को रोका जा सके और बच्चों का भविष्य उज्जवल बनाया जा सके।