
प्रतीकात्मक तस्वीर ( सोर्स :सोशल मीडिया )
Nashik Grape APEDA News : नाशिक के अंगूर उत्पादक किसानों ने निर्यात करने वाली कंपनियों पर गंभीर आरोप लगाए हैं। किसानों का कहना है कि निर्यात कंपनियां हार्वेस्टिंग (कटाई) के दौरान ‘एपेडा’ (APEDA) द्वारा निर्धारित मानकों (स्टैंड) का उल्लंघन कर रही हैं और द्राक्ष की गुणवत्ता के अनुसार किसानों को उचित मूल्य नहीं दे रही हैं। इस कारण किसानों को भारी आर्थिक नुक़सान उठाना पड़ रहा है।
निर्यात के लिए अंगूर की कटाई करते समय, निर्यातदार कंपनियां ‘एपेडा’ द्वारा तय किए गए मानकों की अनदेखी कर रही हैं। गुणवत्ता, आकार (साइज) और बाजार की माँग के अनुसार निर्धारित मानदंडों का पालन न होने से सामान्य किसान घाटे में जा रहे हैं। अंगूर उत्पादक किसान लगातार माँग कर रहे हैं कि हार्वेस्टिंग की प्रक्रिया में सभी को समान न्याय मिलना चाहिए।
विदेशों के विभिन्न बाज़ारों में द्राक्ष के लिए विशिष्ट आकार (साइज) की आवश्यकता होती है। कुछ सुपर मार्केट 14 मिमी आकार के अंगूर ही स्वीकार करते हैं, जबकि कुछ जगह बड़े आकार के अंगूर को प्राथमिकता दी जाती है। हालांकि, निर्यात के लिए आवश्यक इस ‘साइज चार्ट’ की जानकारी अधिकांश किसानों को नहीं दी जाती है।
निर्यातदार कंपनियां जिस बाजार में बड़े आकार के अंगूर को अधिक दाम मिलता है, वहां 16 से 18 मिमी तक का माल भेजती हैं, लेकिन किसानों से उसी माल की हार्वेस्टिंग 14 मिमी के मानक पर करती है। इसका मतलब है कि ऊंचा भाव मिलने वाले बड़े आकार के अंगूर का लाभ निर्यातदार कंपनी उठाती है, जबकि दर्ज के अनुसार सही मूल्य न मिलने के कारण किसानों को नुकसान उठाना पड़ता है।
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लोणवाडी के किसान सुनील चोपडे ने बताया कि अंगूर उत्पादक या अन्य किसान लगातार बारिश से हताश हो गए हैं। इसलिए इस वर्ष बड़ा नुकसान उठाना पड़ेगा, शासन को बकाया कर्जदारों और नियमित कर्ज चुकाने वाले किसानों को न्याय देना चाहिए, अन्यथा, इसके दुष्परिणाम अगले वर्ष दिखाई देंगे।
मानोरी के किसान सचिन संभेराव ने बताया कि विदेश से किस बाजार को किस आकार की मांग है, इसका चार्ट कंपनियों को अपने कार्यालयों में लगाना चाहिए या सीधे किसानों को देना चाहिए, जानकारी खुली होने पर किसान जागरूक होंगे और भ्रष्टाचार पर रोक लगेगी, लेन-देन पारदर्शी तरीके से होने चाहिए।






