
प्रतीकात्मक तस्वीर ( सोर्स: सोशल मीडिया )
Nashik Simhastha Kumbh 2027 News: महाराष्ट्र सरकार ने 2027 सिंहस्थ कुंभ मेले को सुरक्षित, दुर्घटनामुक्त, तकनीक-आधारित और हरित आयोजन बनाने की व्यापक योजना पर काम शुरू कर दिया है। नाशिक त्र्यंबकेश्वर कुंभमेला विकास प्राधिकरण के आयुक्त शेखर सिंह ने साधु-महंतों को आश्वासन दिया है कि कुंभ को वैश्विक ख्याति दिलाने के लिए उनकी सभी उचित सलाहों पर गंभीरता से अमल किया जाएगा।
रावसाहेब थोरात सभागार में आयोजित बैठक में आयुक्त सिंह ने बताया कि कुंभ के सफल आयोजन के लिए साधु-संतों का मार्गदर्शन अपरिहार्य है। बैठक में उप जिलाधिकारी रविंद्र भारदे, महंत भक्ती चरणदास महाराज सहित कई प्रमुख संत उपस्थित थे।
कुंभ काल में नाशिक में लगभग आठ करोड़ और त्र्यंबकेश्वर में चार करोड़ श्रद्धालुओं के पहुंचने की संभावना है। मुख्यमंत्री के उद्देश्य के अनुरूप कुंभ को पूरी तरह डिजिटल बनाने की कार्रवाई चल रही है। पूरे क्षेत्र में सीसीटीवी लगाए जा रहे हैं और इसके लिए नियंत्रण कक्ष स्थापित किया गया है।
तपोवन में पेड़ कटाई विवाद के बीच आयुक्त सिंह ने एक महत्वपूर्ण घोषणा की, तपोवन क्षेत्र का एक भी पुराना वृक्ष नहीं काटा जाएगा। जहां संभव होगा, वहां पेड़ों को स्थानांतरित किया जाएगा और नए वृक्षों की देखभाल सुनिश्चित की जाएगी। गोदावरी नदी में प्रदूषण रोकने के लिए पर्याप्त उपाय किए जा रहे है और इसके लिए मल-जल शोधन संयंत्र (STPs) स्थापित किए जा रहे हैं।
सड़कों और राजमार्गों के विस्तार का कार्य जारी है, साथ ही रेलवे स्टेशनों की क्षमता और नाशिक हवाई अड्डे का विस्तार किया जा रहा है, गंगापुर बांच क्षेत्र, समृद्धि महामार्ग तया त्र्यंबकेश्वर जव्हार मार्ग पर टेंट सिटी की योजना बनाई गई है।
श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए घाटों की संख्या बढ़ाई जा रही है और रामकाल पथ के कार्य को गति दी गई है। नाशिक परिक्रमा मार्ग को श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए गूगल मानचित्र से जोड़ा जाएगा। साधुग्राम के निर्माण के लिए भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया शीघ्र पूरी होगी।
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नाशिक में 1153 एकड़ और त्र्यंबकेश्वर में 220 एकड़ (कुल 1373 एकड़) भूमि अधिग्रहण का प्रस्ताव है। साधुग्राम में सड़क, पानी, स्थायी पुलिस चौकी, सीसीटीवी, वॉटर एटीएम, भोजन केंद्र, सस्ता अनाज दुकान और महाराष्ट्र मंडपम जैसी सभी मूलभूत सुविधाएँ मई 2027 तक उपलब्ध कराने का लक्ष्य है।
बैठक में साधु-महतों ने साधूग्राम के लिए स्थायी भूमि उपलब्ध कराने, वस्त्रांतर गृह स्थापित करने, कुंभमेला शिखर समिति में प्रतिनिधित्व और भिक्षुकों पर नियंत्रण जैसी प्रमुख मांगे रखी।






