निजी वाहनों पर लिखा है पुलिस और महाराष्ट्र शासन
नासिक: पुणे में तथाकथित पूजा खेडकर द्वारा अपनी निजी महंगी गाड़ी पर ‘महाराष्ट्र सरकार’ लिखा हुआ साइनबोर्ड लगाने का मामला न केवल राज्य में बल्कि पूरे देश में सुर्खियों में है। इसके बावजूद, नासिक शहर में भी महंगे चार पहिया वाहनों को वाहन के आगे ‘भारत सरकार’, ‘महाराष्ट्र सरकार’, पुलिस और प्रेस जैसी प्लेटें लगाकर शहर में घुमाया जा रहा है।
एक गंभीर मामला सामने आया है कि खासकर जब ऐसी हरकतें सरकारी अधिकारियों द्वारा की जा रही हैं, लेकिन जिन पर कार्रवाई करने की जिम्मेदारी है, क्षेत्रीय परिवहन विभाग और शहर पुलिस इसे नजरअंदाज कर रही है। खास बात यह भी है कि कलेक्टर और पुलिस कमिश्नरेट कार्यालय परिसर में ऐसी प्लेट वाले निजी वाहन भी है।
नासिक में दोपहिया और चारपहिया वाहनों के नंबर प्लेट फैंसी टाइप के हैं। कुछ नंबरों को नामों से मिलता-जुलता दिखाने की कोशिश की गई है। लेकिन हाल ही में एक नया क्रेज देखने को मिला है। महंगी कारों पर कार ड्राइवर के सामने वाले हिस्से पर ‘भारत सरकार’, ‘महाराष्ट्र सरकार’, पुलिस, प्रेस के नाम की प्लेट लगी होती है। कुछ वाहनों पर सामने बोनट और पीछे के शीशे पर मोटे लाल अक्षरों में ‘भारत सरकार’, ‘महाराष्ट्र सरकार’ और पुलिस या प्रेस लिखा होता है।
दरअसल मोटर व्हीकल एक्ट के मुताबिक, किसी भी निजी वाहन पर सरकारी नेम प्लेट लगाना सख्त मना है। इतना ही नहीं सुप्रीम कोर्ट के भी ऐसे वाहनों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के आदेश हैं। लेकिन इसके बावजूद शहर में ऐसी प्लेट वाली सैकड़ों गाड़ियां चल रही हैं। इस पर शहर पुलिस की यातायात शाखा का ध्यान नहीं जाता है और क्षेत्रीय परिवहन विभाग भी कोई कार्रवाई नहीं करता है। नतीजा यह है कि ऐसे बोर्ड लगाने की हिम्मत दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है।
सरकारी कार्यालयों में वरिष्ठ अधिकारियों के लिए वाहन इनोवा प्रकार के होते हैं और बाकी अधिकारियों के लिए बोलेरो, इर्टिका, स्कॉर्पियो और सूमो प्रकार के होते हैं। लेकिन जांच के दौरान जिन निजी गाड़ियों पर ऐसी नेम प्लेट मिलीं, उनमें फॉर्च्यूनर, ऑडी, इनोवा, ग्लोस्टर, एक्सयूवी, डिजायर, होंडा सिटी जैसी महंगी कारें शामिल हैं। यह भी पता चला है कि ये गाड़ियां सरकारी नहीं हैं।
ऐसी प्लेटें लगी कारों में कोई अधिकारी नहीं होते हैं। ज्यादातर मामलों में अधिकारी और पुलिसकर्मी आपस में रिश्तेदार होते हैं। देखा जा रहा है कि रिश्तेदार गाड़ियों पर भारत सरकार, महाराष्ट्र सरकार, पुलिस, जज, प्रेस जैसी प्लेटें लगाकर अपना दबदबा बनाने की कोशिश कर रहे हैं।
सवाल यह है कि जो गाड़ियां शहर पर ऐसी प्लेटें लगाकर घूम रही हैं, क्या उनमें वाकई कोई सरकारी अधिकारी है? ऐसे बोर्डों का होटल मालिकों द्वारा दुरुपयोग भी किया जा सकता है। मामले की गंभीरता के बावजूद यातायात नियमों के उल्लंघन के मामले में दंडात्मक कार्रवाई करने वाली शहर पुलिस इस बात से हैरान है कि यातयात विभाग ऐसे वाहनों के खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं कर रहा है।
मोटर वाहन अधिनियम 1988 के अनुसार, सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों को अपने निजी वाहनों पर सरकारी नेम प्लेट का उपयोग करने की सख्त मनाही है। निजी वाहनों पर भारत सरकार, महाराष्ट्र सरकार या अन्य सरकारी नाम का उपयोग मोटर वाहन अधिनियम 1988 की धारा 177 का उल्लंघन है। इसके लिए संबंधित वाहनों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की जाती है। बार-बार पाए जाने पर गंभीर कार्रवाई भी हो सकती है।
पुलिस आयुक्त संदीप कार्णिक ने कहा कि निजी वाहनों पर सरकारी प्लेट लगाना कानूनी अपराध है। ऐसे वाहनों के खिलाफ शहर पुलिस द्वारा कार्रवाई की जाएगी। कोई भी शहरी इस तरह से वाहनों पर सरकारी प्लेट न लगाए अन्यथा सख्त कार्रवाई की जाएगी।