
नमामि गोदावरी' कार्य योजना को सरकार ने दी मंजूरी। (सौजन्यः सोशल मीडिया)
नासिक: सरकार ने नमामि गंगे की तर्ज पर आगामी सिंहस्थ कुंभ मेले की पृष्ठभूमि में नासिक नगर निगम द्वारा प्रस्तुत 2,700 करोड़ रुपये की ‘नमामि गोदावरी’ परियोजना को हरी झंडी दे दी है और महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की नमामि गोदावरी कार्य योजना को मंजूरी दे दी है।
तदनुसार, महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा 2024 में किए गए एक सर्वेक्षण के अनुसार, महाराष्ट्र में गोदावरी नदी में सोमेश्वर मंदिर, जिला नासिक से राहेड़ जिला नांदेड़ को प्राथमिकता क्रमांक में शामिल किया गया है। गोदावरी नदी में प्रदूषित नदी तल को बदलकर गोदावरी नदी के प्रदूषण को कम करने के लिए गोदावरी नदी कार्य योजना तैयार करने का मुद्दा पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन विभाग के 100 दिवसीय कार्यक्रम के अंतर्गत शामिल किया गया। तदनुसार, नमामि गोदावरी नदी कार्य योजना महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के माध्यम से सरकार को प्रस्तुत की गई।
सभी संबंधित सरकारी विभागों, सरकारी एजेंसियों, सरकारी बोर्डों और गोदावरी नदी के किनारे स्थित सभी स्थानीय स्वशासन निकायों को इस कार्य योजना के कार्यान्वयन की जिम्मेदारी सौंपी गई है। योजना में शामिल अपशिष्ट जल उपचार सुधार, औद्योगिक अपशिष्ट जल नियंत्रण, अपशिष्ट प्रबंधन सुधार और अन्य सहायक उपायों का कार्यान्वयन अगले 3 वर्षों के भीतर, यानी 2028 तक पूरा करना अनिवार्य है।
सरकार ने योजना के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए संबंधित संभागीय आयुक्त की अध्यक्षता में संभागीय कार्यकारी समिति गठित करने के निर्देश दिए हैं। उक्त समिति में संबंधित जिला कलेक्टर, जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी, संबंधित नगर आयुक्त, जल संसाधन विभाग के प्रतिनिधि, संबंधित नगर परिषद, नगर पंचायत के मुख्य अधिकारी, महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और महाराष्ट्र औद्योगिक विकास निगम के प्रतिनिधि, क्षेत्र में काम कर रहे पर्यावरण गैर सरकारी संगठनों के कम से कम 2 प्रतिनिधि और ऐसे अन्य प्रतिनिधि शामिल होंगे जिन्हें विभागीय आयुक्त आवश्यक समझें।
महाराष्ट्र की अन्य खबरें पढ़ने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें
सरकार ने उक्त योजना में शामिल सीवेज प्रबंधन, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन एवं अन्य सहायक उपायों के अनुरूप विभिन्न विभागों द्वारा क्रियान्वित योजनाओं से प्राथमिकता के आधार पर धनराशि उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं। सीएसआर फंड का भी उपयोग किया जाएगा। संबंधित प्रशासनिक विभाग को अपने अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत योजनाओं से धनराशि वितरित करते समय प्रदूषित नदी घाटियों में प्रस्तावित परियोजनाओं को प्राथमिकता देनी चाहिए। यह सुझाव दिया जाता है कि कार्यान्वयन एजेंसियां आवश्यक धनराशि के लिए संबंधित प्रशासनिक विभाग को प्रस्ताव भेजें तथा आवश्यक तकनीकी एवं प्रशासनिक अनुमोदन प्राप्त करने के पश्चात धनराशि उपलब्ध कराएं।
बता दें कि गोदावरी नदी गंगा नदी के बाद देश की सबसे लंबी नदी है। गोदावरी नदी नासिक जिले के त्र्यंबकेश्वर से निकलती है और बंगाल की खाड़ी में मिलने से पहले महाराष्ट्र के अहिल्यानगर, छत्रपति संभाजीनगर, परभणी और नांदेड़ जिलों से होकर तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़ और ओडिशा राज्यों से होकर बहती है। राज्य में गोदावरी नदी की लंबाई 504 किमी है।
नासिक और नांदेड़ नगर निगम, साथ ही कोपरगांव, पैठण, गंगाखेड़ और त्र्यंबकेश्वर की नगर परिषदें और पंचायतें नदी के तट पर स्थित हैं। केन्द्र सरकार की राष्ट्रीय जल गुणवत्ता मापन योजना के अनुसार देश में नदियों का नियमित सर्वेक्षण किया जाता है तथा राज्य में प्रदूषित नदी घाटियों को नदी प्रदूषण के अवरोही क्रम में प्राथमिकता संख्या 1 से 5 तक वर्गीकृत किया जाता है।






