
अजित पवार (सौजन्य-सोशल मीडिया)
PhD scholarship Maharashtra: बार्टी सहित अन्य संस्थाओं के माध्यम से शोध करने वाले विद्यार्थियों की छात्रवृत्ति का निधि रोका नहीं जाएगा। हालांकि, इसके लिए सामाजिक विषयों को अनिवार्य किया जाएगा और संख्या पर भी सीमा तय की जाएगी। यह आश्वासन उपमुख्यमंत्री एवं वित्त मंत्री अजित पवार ने विधानसभा के प्रश्नोत्तर काल के दौरान दिया। इस संबंध में विधायक नितिन राऊत समेत अन्य सदस्यों ने सवाल उठाए थे।
अजित पवार ने बताया कि विद्यार्थियों के लिए, बार्टी, सारथी, महाज्योति और अमृत जैसी संस्थाएं गठित की गई हैं। इन संस्थाओं के अंतर्गत शोध करने वाले विद्यार्थियों का चयन और उनके शोध विषयों के लिए स्पष्ट मापदंड तय किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि वर्तमान में शोध छात्रवृत्ति के रूप में प्रति माह 45 हजार रुपये दिए जा रहे है।
जिसके कारण एक ही परिवार से 5 से 6 लोगों के नाम दर्ज होने के मामले सामने आए हैं। इस विषय पर मंत्रिमंडल में चर्चा की गई है। पवार ने कहा कि अब मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक समिति गठित की जाएगी, जो मेरिट के आधार पर सारथी और पर सीमा तय करेगी।
पीएचडी करने वाले विद्यार्थियों को फेलोशिप दी जाती है। बाटी संस्था के अंतर्गत विशेष रूप से 2185 विद्यार्थियों को अधिछात्रवृत्ति दी जा रही है, जिन पर अब तक 326 करोड़ रुपये खर्च किए गए है, प्रति विद्यार्थी 42 हजार रुपये प्रतिमाह खर्च किया जाता है, महाज्योति के माध्यम से वर्ष 2022 में 756 और 2023 में 1236 विद्यार्थियों का चयन किया गया, जिस पर कुल 236 करोड़ रुपये खर्च हुए।
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सारथी संस्था में पहले 327 करोड़ रुपये की बकाया राशि थी, जो अब 195 करोड़ रुपये की फेलोशिप तक सीमित रह गई है। सामाजिक न्याय मंत्री संजय शिरसाट ने बताया कि सरकार इस बात पर जोर दे रही है कि पीएचडी के विषय समाज से जुड़े हों। इसके लिए मुंबई के कुलगुरु की अध्यक्षता वाली समिति की रिपोर्ट प्राप्त हो चुकी है।






