'मिशन 100 प्लस' Vs 'स्व-बल' (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Nashik District: आगामी मनपा और जिला परिषद चुनावों को देखते हुए, शिवसेना (शिंदे गुट) के प्रमुख और महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे रविवार 5 अक्टूबर को नाशिक में एक बड़ा कार्यकर्ता सम्मेलन को संबोधित करेंगे, जहां एक ओर भाजपा ने नाशिक में 100 सीटों का नारा दिया है और अकेले लड़ने की तैयारी कर रही है, वहीं शिवसेना शिंदे गुट भी स्व-बल पर चुनाव लड़ने का इरादा दिखा रहा है। राजनीतिक गलियारों में माना जा रहा है कि यह सम्मेलन आगामी चुनावों से पहले शक्ति प्रदर्शन का एक बड़ा जरिया होगा।
नाशिक जिले में नाशिक और मालेगांव मनपा के अलावा जिला परिषद, समितियों पंचायत और नगरपालिकाओं के चुनाव होने हैं। इन चुनावों के लिए भाजपा और शिवसेना (शिंदे गुट) दोनों ने अपनी कमर कस ली है। नाशिक में भाजपा का ‘मिशन 100 एनस’: भाजपा ने आगामी मनपा और जिला परिषद चुनाव अकेले लड़ने की तैयारी शुरू कर दी है।
पार्टी ने नाशिक मनपा के लिए 100 सीटों का नारा दिया है। इस लक्ष्य को साधने के लिए भाजपा में अन्य पार्टियों से बड़ी संख्या में नेताओं का ‘इनकमिंग’ (पार्टी में शामिल होना) भी शुरू हो गया है। पार्टी की यह आक्रामक रणनीति साफ इशारा करती है कि नाशिक में भाजपा अकेले चुनाव मैदान में उतरने की योजना बना रही है।
जिससे गठबंधन के सहयोगी शिंदे गुट पर दबाव बढ़ रहा है। भाजपा की एकल-चुनाव की रणनीति के जवाब में अब शिवसेना (शिंदे गुट) भी अकेले चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है। पिछले महीने उत्तर महाराष्ट्र में एक सफल सम्मेलन के बाद, नाशिक में एकनाथ शिंदे की उपस्थिति में एक और कार्यकर्ता सम्मेलन का आयोजन किया गया है। यह सम्मेलन रविवार शाम 7 बजे होटल डेमोक्रेसी में होगा।
इस आयोजन के माध्यम से पार्टी नाशिक जिले में अपनी ताकत दिखाएगी। स्थानीय स्व शासन निकायों के मौजूदा और पूर्व पदाधिकारियों के साथ-साथ सभी शिवसैनिकों को भी इस सम्मेलन में आमंत्रित किया गया है। रविवार को कार्यकर्ता सम्मेलन से पहले।
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उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे जिलाधिकारी कार्यालय में एक महत्वपूर्ण बैठक भी करेंगे, इना बैठक में जिले में चल रहे विकास कार्यों की विस्तार से समीक्षा की जाएगी। नाशिक के प्रशासन पर भाजपा और जल संसाधन मंत्री गिरीश महाजन का काफी प्रभाव माना जाता है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस बैठक को एकनाथ शिंदे द्वारा भाजया के मंत्रियों और विधायकों को चेकमेट देने की रणनीति के रूप में भी देखा जा रहा है ताकि जिले के विकास कार्यों पर अपना नियंत्रण और प्रभाव बढ़ाया जा सके।