
दिनकर पाटिल का भाजपा प्रवेश
Nashik Municipal Election: महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के प्रदेश महासचिव दिनकर पाटिल के अचानक भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल होने से नाशिक की स्थानीय राजनीति में हड़कंप मच गया है। आगामी नगर निगम चुनावों को देखते हुए, जो उम्मीदवार पाटिल के राजनीतिक प्रभाव और मार्गदर्शन पर निर्भर थे, उनके सामने अब बड़ा संकट खड़ा हो गया है। विशेष रूप से नए नाशिक क्षेत्र से मनसे के टिकट पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे कई इच्छुक उम्मीदवार असमंजस की स्थिति में आ गए हैं।
दिनकर पाटिल को मनसे के ‘हर घर स्वदेशी’ संगठन का एक महत्वपूर्ण स्तंभ माना जाता था। उनकी मजबूत संगठनात्मक पकड़ और कार्यकर्ताओं से सीधे संपर्क के चलते कई वार्डों में उनकी राय को अंतिम माना जाता था। उनके भाजपा में शामिल होने से मनसे खेमे में बेचैनी बढ़ गई है। कई कार्यकर्ताओं ने पहले ही जनसंपर्क और प्रचार अभियान शुरू कर दिए थे, लेकिन पाटिल के पाला बदलने से उनका राजनीतिक भविष्य अधर में लटक गया है। यह सवाल भी उठने लगा है कि भाजपा में पहले से मौजूद दावेदारों की भीड़ के बीच इन नए समर्थकों को अवसर मिल पाएगा या नहीं।
इस बीच, महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना ने इसे पार्टी अनुशासन का उल्लंघन बताते हुए दिनकर पाटिल को पार्टी से निष्कासित कर दिया है। यह कार्रवाई मनसे अध्यक्ष राज ठाकरे के आदेशानुसार की गई। पार्टी द्वारा जारी आधिकारिक पत्र में स्पष्ट किया गया है कि दिनकर पाटिल का अब मनसे से कोई संबंध नहीं है और संगठन की नीतियों के खिलाफ गतिविधियों के चलते यह सख्त कदम उठाया गया है।
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वहीं भाजपा नेतृत्व दिनकर पाटिल के पार्टी में शामिल होने को संगठन की मजबूती के रूप में देख रहा है। माना जा रहा है कि उनके साथ जुड़े कई सक्रिय कार्यकर्ता भी भाजपा का रुख कर सकते हैं। हालांकि, भाजपा के पुराने कार्यकर्ताओं और नए शामिल हुए गुट के बीच संतुलन कैसे बनेगा, यह अभी स्पष्ट नहीं है। फिलहाल, इस राजनीतिक उठापटक ने नगर निगम चुनाव की दहलीज पर खड़े उम्मीदवारों के सभी समीकरणों को पूरी तरह अस्त-व्यस्त कर दिया है।






