नासिक पश्चिम सीट का इतिहास
मुंबई: नासिक पश्चिम विधानसभा सीट महाराष्ट्र की 228 विधानसभा सीटों में से एक है। साल 2008 में परिसीमन के बाद यह सीट अस्तित्व में आई है। पहले विधानसभा चुनाव में यहां मनसे के उम्मीदवार ने जीत हासिल की थी। लेकिन पिछले दो विधानसभा चुनावों से बीजेपी का दबदबा यहां कायम है। पिछली बार के चुनाव की अगर बात करें तो राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के डॉ अपूर्व प्रशांत 10,000 वोटो के अंतर से हार गए थे। ऐसे में इस सीट पर एनसीपी (शरद पवार) का भी बढ़ता हुआ कद दिख रहा है। अब देखना यह होगा कि इस बार जनता किस उम्मीदवार पर भरोसा जताती है।
नासिक लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली नासिक विधानसभा की तीनों सीटों पर बीजेपी का कब्जा है और यह बीजेपी के लिए नाक की बात है कि वह इन तीनों सीटों को बचाने का पूरा प्रयास महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 में करते हुए नजर आएंगे। लेकिन वहीं कांग्रेस भी बीजेपी के इस किले में सेंध लगाने के लिए पूरी तरह से तैयार है। जिसके लिए महाविकास आघाड़ी के उम्मीदवार को यहां से उतारकर वह इस तीनों ही सीट पर भाजपा के दबदबे को खत्म करने का प्रयास करेगी, हालांकि इन सीटों पर जीत किसकी होती है ये आने वाले वक्त में ही पता चल पाएगा।
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नासिक पश्चिम सीट का इतिहास
नासिक पश्चिम सीट 2008 के परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई और 2009 में हुए पहले चुनाव में यहां से मनसे के उम्मीदवार नितिन केशवराव भोसले ने जीत दर्ज की थी। वहीं 2019 और 2014 में हुए दोनों ही विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी की उम्मीदवार सीमा महेश हिरे ने जीत दर्ज की और 10 साल से वह इस सीट पर दबदबा बनाए रखने में कामयाब रही हैं। महाराष्ट्र में चुनावी बिगुल बज गया है। 20 नवंबर को मतदान होगा और 23 नवंबर को मतगणना, उसके बाद तय हो जाएगा कि इस सीट पर किसका वर्चस्व कायम रहता है। महायुति या आघाड़ी।
नासिक पश्चिम विधानसभा सीट पर जाति समीकरण
नासिक पश्चिम विधानसभा सीट में कुल मतदाताओं की संख्या 3,82,131 है। अनुसूचित जनजाति की संख्या 55,065 है। वहीं अनुसूचित जनजाति के लोगों की संख्या 21,094 है। मुस्लिम वोटर की संख्या 16,814 है। यह भी पूरी तरह से शहरी इलाका है, यहां पर ग्रामीण आबादी बिल्कुल नहीं है। यहां आरक्षित श्रेणी की आबादी काफी कम है, लेकिन यहां युवा वर्ग मतदान में अहम भूमिका निभाते हैं। ऐसे में चुनाव में हिस्सा ले रहे उम्मीदवारों को युवा वर्गों को रिझाने के लिए रणनीति बनानी पड़ती है। बीजेपी के विधायक सीमा महेश हिरे की अगर बात करें तो उन्होंने इलाके में कुछ काम किया है, उनका हैट्रिक का चांस बन रहा है, लेकिन अगर एंटी इनकंबेंसी फैक्टर ने काम किया तो महाविकास आघाड़ी के उम्मीदवार को जीत मिल सकती है।